नई दिल्ली। देश में अगस्त महीने में होने वाले उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर विपक्ष ने अपने उम्मीदवार के रूप में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते गोपालकृष्ण गांधी को मैदान में उतारा है। अब ऐसे में एनडीए के उम्मीदवार के लिए चुनौती काफी कठिन होने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी के एक्शन प्लान से ऐसा लग नहीं रहा।
दरअसल एनडीए की ओर से अब तक उपराष्ट्रपति पद के लिए कई नाम रेस में हैं। उपराष्ट्रपति पद पर जिन नामों पर फिलहाल चर्चा हो रही है, उनमें गुजरात की पूर्व मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल का नाम लिया जा रहा है। आनंदी बेन पटेल के जरिए बीजेपी गुजरात के पटेल समुदाय को साध सकती है जो हार्दिक पटेल के आंदोलन के बाद उनसे कुछ हद तक दूर हो गया है।
वहीं इसके अलावा मणिपुर की गवर्नर नजमा हेप्तुल्लाह के नाम की भी चर्चा हो रही है। बता दें कि नजमा हेप्तुल्लाह पहले भी राज्यसभा की उपसभापति रह चुकी हैं। ऐसे में उन्हें सदन की कार्यवाही चलाने का अनुभव भी है। बीजेपी पहले से ही ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं को अपने पाले में लाने में लगी हुई है। दावा किया जा रहा था कि यूपी विधानसभा चुनाव में मुस्लिम महिलाओं ने इस मुद्दे पर बीजेपी का साथ भी दिया था।
इसके साथ ही केंद्र सरकार में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी उपराष्ट्रपति की दौड़ में बताई जा रही हैं। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक सुषमा स्वराज की साफ-सुथरी छवि और विपक्षी दलों को भी साथ लेकर चल सकने की क्षमता उनके पक्ष में जाती है। खासतौर से प्रधानमंत्री मोदी की तरफ से अमेरिका में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए जमकर तारीफ करने के बाद से ही ऐसे कयास लगने शुरू हो गए हैं।
हालांकि इसके अलावा केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू से लेकर बीजेपी के बिहार से सांसद हुकुमदेव नारायण यादव और करिया मुंडा का भी नाम चर्चा में है। वहीं इस सबके बीच अब जिस उम्मीदवार का नाम सामने आया है, उनपर कहा जा रहा है कि काफी हद तक गोपालकृष्ण गांधी की चुनौती एनडीए के ऊपर से कम हो जाएगी।
बताया जा रहा है कि आज दिल्ली में हुई एक बैठक में उपराष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवार के लिए लाल कृष्ण आडवाणी का नाम सामने रखा गया है। अब अगर आडवाणी के नाम पर एनडीए में सहमति बन जाती है तो उम्मीद जताई जा रही है कि देश का अगला उपराष्ट्रपति एनडीए की ओर से हो सकता है।