इरफान शाहिद :NOI।
सी ए ए और एन आर सी को लेकर विरोध के स्वर थमने का नाम नही ले रहे हैं मुस्लिम समाज का एक धड़ा इसे मुस्लिम विरोधी बता कर पूरे देश मे धरना प्रदर्शन कर रहा है तो वही विपक्षी पार्टी भी इसका मतलब अपने ढंग से समझाने में लगी हैं मतलब दोनों पक्ष सरकार के विरोध में ही अपनी आवाज़ बुलंद कर रहे हैं एक तरफ जहां दिल्ली के शाहीन बाग में लगभग 43 दिनों से रास्ता जाम कर विरोध प्रदर्शन हो रहा है तो वही लखनऊ के घण्टाघर को भी प्रदर्शनकारियों ने अपना घर बना रखा है पुलिस प्रशासन की मौजूदगी में शांति पूर्वक प्रदर्शन यहां भी बदस्तूर जारी है।
तमाम विरोध प्रदर्शन के बावजूद सरकार सी ए ए पर अपने कदम पीछे लेने का नाम नही ले रही है सरकार ने साफ कर दिया है के इससे किसी हिंदुस्तानी की नागरिकता नही जाने वाली ये कानून तो नागरिकता देने के लिए बनाया गया है सरकार का कहना है कि इसके अमल में आने से घुसपैठियों पर नकेल कसी जाएगी ना के भारतीय मुसलमानों को कोई नुकसान पहुंचेगा लेकिन फिर भी ना जाने क्यों सरकार के खिलाफ इसी बात को लेकर अल्पसंख्यको में आक्रोश जारी है उन्होंने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है उनका मानना है सरकार मुस्लिम विरोधी कानून बनाने पर आमादा है।
मेरी समझ मे ये नही आता कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में जनता के खिलाफ जा कर कोई सरकार कोई फैसला कैसे ले सकती है जबकि उसको मालूम है कि जनता ही उसे बनाती और बिगाड़ती है तो जाहिर है मोदी सरकार भी जनता के हित को बखूबी जानती होगी तभी वो अपने फैसले पर अडिग है उसे विश्वास उसका ये फैसला देश के लिए सही साबित होगा लेकिन विपक्षी पार्टी सरकार से जनता का तालमेल होने में रोड़ा अटकाने में लगे हैं अभी जो चीज़ सामने ही नही आई उसका इस तरह से विरोध करना कहाँ तक उचित है क्या इससे बेहतर ये नही के हम पहले सरकारी कागज़ आने का इंतज़ार करें उसके बाद अपनी प्रतिक्रिया दें ताकि आपके साथ सारा देश खड़ा हो ।