एक ओर जहां पाकिस्तान कुलभूषण जाधव के मुद्दे पर सुलह के लिए तैयार नजर नहीं आता, वहीं दूसरी ओर सवाल उठ रहे हैं कि जाधव को बचाने के लिए उनके परिवार का अगला कदम क्या होगा?
कानूनी रास्ता ही इकलौता चारा?
कूटनीति के जानकारों की राय में जाधव के परिवार के पास इकलौती उम्मीद सजा-ए-मौत के खिलाफ अपील का है. सेना के ट्रिब्युनल में फैसले को चुनौती देने के अलावा परिवार के सदस्य पाकिस्तानी सेना के अध्यक्ष और वहां के राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर कर सकते हैं. भारत को उम्मीद होगी कि पाकिस्तानी उच्चायोग इस मामले में मदद करेगा.
इस्लामाबाद की प्रतिक्रिया का इंतजार
शुक्रवार को भारतीय उच्चायुक्त गौतम बंबावले ने पाकिस्तानी विदेश सचिव तहमीना जंजुआ से मिलकर जाधव के खिलाफ चार्जशीट और फैसले की कॉपी मांगी थी. इसके अलावा बंबावले ने करीब एक साल में चौदहवीं बार जाधव से मिलने की इजाजत मांगी थी. सूत्रों की मानें तो भारत सरकार जाधव को बचाने के लिए अगला कानूनी कदम उठाने से पहले इस अनुरोध पर पाकिस्तानी प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है.
क्या है पाकिस्तान का रुख?
पाकिस्तान की सेना और सरकार ने जाधव के मुद्दे पर कड़ा रुख अपनाया है. भारत ने भी साफ किया है कि इस मसले का असर दोनों देशों के ताल्लुकात पर पड़ना तय है. प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा था कि जाधव 40 दिनों के भीतर सेना के ट्रिब्युनल में अपील दायर कर सकते हैं. उनके पास पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष के पास दया याचिका दायर करने के लिए 2 महीने का वक्त है. अजीज के मुताबिक जाधव के पास आखिरी रास्ता पाकिस्तानी राष्ट्रपति के पास गुहार लगाने का है.