नई दिल्ली। कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को यौन हिंसा के शिकार बच्चों और उनके माता-पिता की पहचान उजागर करने पर फटकार लगाई है। आरोप–पत्रों में पी़डि़त बच्चों के नाम और उनके माता-पिता के पते का उल्लेख होने को गंभीर चूक मानते हुए अदालत ने कहा कि यह कानूनी प्रावधानों का माखौल है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गुरदीप सिंह ने आरोप-पत्र में पी़डि़त बच्चों के नाम और उनके अभिभावकों के पतों को फ्ल्युड से ढंकने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि पुलिस फाइल में पी़डि़त बच्चों के नाम और उनके माता-पिता के पते पूरी तरह से गोपनीय रहने चाहिए। कोर्ट में एक अप्रैल से सात अप्रैल के बीच यौन अपराध से संबंधित करीब 14 मामले सामने आए जिसमें पुलिस ने आरोप-पत्रों में पी़डि़त बच्चों के नाम, उनके पते और उनकी पहचान को उजागर किया है। ये मामले दुष्कर्म, छेड़छाड़ और अप्राकृतिक कृत्य के हैं।
अदालत ने दिल्ली पुलिस के वरिष्ठ अफसरों को यौन हिंसा के शिकार बच्चों की पहचान को उजागर नहीं करने के निर्देश दिए। कोर्ट ने कहा कि पोक्सो यानी यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून के प्रावधानों का भी दिल्ली पुलिस ने कई जगह उल्लंघन किया है।