अम्बेडकर नगर. नगर निकाय के निर्वाचन में जिले की सबसे पुरानी नगर पालिका टाण्डा के लिए चुनाव मैदान में सभी 11 प्रत्याशी मैदान में तो जरूर हैं, लेकिन जैसे जैसे मतदान की तिथी नजदीक आती जा रही है। रोज चुनावी समीकरण बनते और बिगड़ते देखे जा सकते हैं। इस चुनाव में जहां भाजपा अपने पुराने एजेंडे पर काम करते हुए चेयर मैन की इस सीट से नैया पार लगाना चाहती है, तो वहीं सपा अपना पुराना इतिहास दोहराते हुए फिर से एक बार इस नगर पालिका पर अपना कब्जा जमाना चाहती है, जिसके लिए पूर्व विधायक अजीमुल हक पहलवान से लेकर पूर्व मंत्री अहमद हसन तक अपनी पूरी प्रतिष्ठा तक लगा दिए हैं।
इस गणित में बसपा भी किसी से पीछे नही रहना चाहती है और इसके लिए बसपा ने मोमिन अंसार जाति की महिला को बसपा का टिकट देकर चुनाव मैदान में उतारा है। बसपा के टिकट पर नगर पालिका टाण्डा का चुनाव लड़ रही सुरैया बानो हैं तो एक घरेलू महिला, लेकिन जिस खानदान की वह हैं, वहां नगर पालिका की पूरी निभाने की पुरानी रेशम रही है।
कौन हैं सुरैया बानो
नगर पालिका टाण्डा के अध्यक्ष पद की बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी श्रीमती सुरैया बानो का नगर पालिका टाण्डा से बहुत पुराना रिश्ता है। दरअसल नगर पालिका टाण्डा के इतिहास में अध्यक्ष पद पर सबसे अधिक समय तक कब्जा जमाने वाले हयात मोहम्मद , जो अंग्रेजी हुकूमत के दौरान ही 1945 में पहली बार नगर पालिका टाण्डा के अध्यक्ष बने और लगातार 1977 तक अध्यक्ष के पद पर बने रहे। 1977 से 1988 तक नगर पालिका में चुनाव ही नही हुआ और यह प्रशासन के नियंत्रण में चलता रहा। 1988 में जब फिर चुनाव हुआ तो एक बार फिर अध्यक्ष का चुनाव हयात मोहम्मद जीत गए और 1993 तक अध्यक्ष रहे और 1993 के चुनाव में यह सीट महिला घोषित हो जाने वे चुनाव लड़ने से वंचित हो गए। इसी दरम्यान उनकी मौत हो गई।
बसपा प्रत्याशी सुरैया बानो इसी पूर्व चेयरमैन के खानदान की बहू हैं। हयात मोहम्मद के भतीजे ताज मोहम्मद, जो इस खानदान की सभी संपत्तियों की देखभाल करते थे, उन्ही की पुत्रबधू सुरैयाबानो पर दांव लगा कर बहुजन समाजपार्टी इस नगर पालिका पर जहां अपना झंडा पहली बार लहराने की फिराक में है, वहीं पूर्व चेयरमैन के खानदान में फिर इतिहास दोहराया जाय, इसके लिए हयात मोहम्मद के खानदान के अधिकांश लोग लगे हुए हैं।
क्या हैं यहां मतदाताओं की स्थिति
नगर पालिका टाण्डा में मतदाताओं की कुल संख्या 70 हजार के लगभग है, जिसमे जातिगत आधारों पर सबसे ज्यादा वोट मोमिन अंसार बिरादरी का है, जिनकी संख्या 30 हजार के आसपास मानी जाती है। इसके अलावा लगभग 25 हजार अन्य मुस्लिम समुदाय के वोटों की संख्या बताई जाती है। इस नगर पालिका क्षेत्र में हिन्दू मतों की संख्या 15 हजार के आसपास ही है।
जातीय समीकरण से अगर देखा जाय तो अंसारी बिरादरी की बसपा के अलावा कई एक और प्रत्याशी शहनाज बानो काफी दमदारी से चुनाव में हैं और बसपा को यह लगता है कि जातिगत आधार पर अधिकांश अंसारी बिरादरी के वोट सुरैयाबानो को मिलने के साथ ही नगर पालिका टाण्डा क्षेत्र में दलित समुदाय की वोट अगर बहुजन समाज पार्टी को मिल तो उसके लिए यह चुनाव जीतना आसान हो जाएगा।
सपा के लिए आसान नही है मंजिल
इस नगर पालिका में 1945 से लेकर के अबतक के इतिहास में अंसारी बिरादरी के ही कब्जा रहा है और अधिकांश संख्या में अंसारी बिरादरी सपा के साथ जुड़ा हुआ है। इसी समुदाय से यहां के पूर्व विधायक अजीमुलहक पहलवान हैं, जिनकी पकड़ बिरादरी पर अच्छी है। इसके अलावा सूबे के पूर्व मंत्री अहमद हसन भी इसी बिरादरी से और इसी जिले के निवासी हैं, जिनका पूरा प्रयास है कि अंसारी समुदाय को वोट सपा प्रत्यशी को ही मिले, लेकिन जो सबसे बड़ी समस्या सपा प्रत्याशी के लिए आ रही है, वह है कि यह महिला प्रत्याशी अंसारी बिरादरी के बजाय रंगरेज बिरादरी की हैं। बसपा अपने इसी कार्ड को खेलकर इस बार उलटफेर करना चाहती है। फिलहाल बसपा प्रत्याशी सुरैया बानो की जीत के लिए बसपा के दिग्गज नेता पूर्व मंत्री लालजी वर्मा, टाण्डा विधानसभा से पूर्व प्रत्यशी रह चुके मनोज पटेल समेत इस क्षेत्र के कई बसपा नेता और कार्यकर्ता लगे हुए हैं।