नई दिल्ल – कच्चे तेल [क्रूड] की फिसलती कीमत से अगर आम जनता को भारी राहत मिलने की उम्मीद है तो चुनाव की तैयारियों में जुटे संप्रग को भी इससे कुछ राजनीतिक फसल काटने का मौका मिल सकता है। इस महीने के पहले 12 दिनों के भीतर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 5.50 डॉलर प्रति बैरल घट चुकी है। इससे अगले हफ्ते घरेलू बाजार में पेट्रोल एक रुपये तक सस्ता हो सकता है।
सूत्रों का कहना है कि लगातार तीसरे पखवाड़े में पेट्रोल सस्ता हो सकता है। एक अप्रैल को क्रूड 108.74 डॉलर प्रति बैरल था जो शुक्रवार को 103.17 डॉलर प्रति बैरल रह गया है। अगले दो दिनों तक बाजार बंद रहेंगे। अगर सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में इसमें अचानक ज्यादा तेजी नहीं आती है तो घरेलू ग्राहकों को एक रुपये तक की राहत दी जा सकती है। पिछले दो पखवाड़े में पेट्रोल 3.42 रुपये प्रति लीटर सस्ता हो चुका है।
साथ ही ग्राहकों को ज्यादा महीने तक डीजल मूल्य वृद्धि का बोझ भी नहीं उठाना होगा। दो महीने पहले जब क्रूड 111 डॉलर प्रति बैरल था तब डीजल की कीमत में लगातार 22 महीने तक प्रति माह 50 पैसे प्रति लीटर की वृद्धि करने का फैसला किया गया था। मगर अब कच्चे तेल में नरमी से डीजल पर तेल कंपनियों का घाटा छह रुपये रह गया है। यानी अब इसमें 12 महीने ही बढ़ोतरी होगी।
सस्ते क्रूड से सबसे ज्यादा राहत केंद्र सरकार को मिलेगी। पेट्रोल की कीमत को बाजार के हवाले कर संप्रग सरकार ने जो जोखिम उठाया था अब वह फैसला सही साबित हो रहा है। जानकार अभी कुछ समय तक क्रूड की कीमत 90 से 100 डॉलर के बीच रहने के कयास लगा रहे हैं। अगर ऐसा हुआ तो देश में पेट्रोल की कीमत में काफी गिरावट आ सकती है। अब जबकि कई राज्यों में चुनाव की तैयारी है तो संप्रग और कांग्रेस के लिए विपक्षी दलों को महंगाई पर जवाब देना आसान हो जाएगा।
साथ ही सब्सिडी बिल में भी कमी से केंद्र को राहत मिलेगी। यही वजह है कि चालू खाते के घाटे के रिकॉर्ड 6.7 फीसद होने से चिंतित रणनीतिकार क्रूड की कीमतों पर पैनी नजर रखे हुए हैं। सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] के मुकाबले चालू खाते के घाटे के इस स्तर पर पहुंचने के लिए बहुत हद क्रूड का बढ़ता आयात बिल जिम्मेदार है। क्रूड के सस्ता होने से आयात बिल घटेगा। अंतरराष्ट्रीय रिपोर्ट बताती है कि अमेरिका व चीन में शेल गैस की खपत बढ़ने से क्रूड की कीमतें टूट रही हैं। साथ ही अमेरिका ने क्रूड का उत्पादन भी बढ़ा दिया है। अंतरराष्ट्रीय एनर्जी एजेंसी [आइईए] ने यूरोप के बारे में कहा है कि इस वर्ष वहां क्रूड की रोजाना खपत 25 हजार बैरल कम रहेगी।
क्यों सस्ता हो रहा है क्रूड
1. अमेरिका ने बढ़ाया कच्चे तेल का घरेलू उत्पादन
2. शेल गैस के बढ़ते इस्तेमाल से भी बना दबाव
3. सुधार के बावजूद यूरोप में क्रूड की मांग नहीं बढ़ रही
4. नए गैस भंडार मिलने से चीन भी कम करेगा आयात