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Thursday, December 26, 2024

बच्चों की कत्लगाह बना योगी का बीआरडी कालेज


हिसाम सिद्दीकी

“योगी आदित्यनाथ ही गोरखपुर से लोक सभा पहुचते रहे हैं। बच्चों में जेई जैसे मरज को रोकने के लिए पीने के साफ पानी के लिए उन्होने क्या कोशिश की, मसेहरा में मुजव्विजा (प्रस्तावित) सालिड वेस्ट मैनेजमेट का काम 2008 से अब तक किसने रूकवा रखा है। नगर निगम पर उनके खुशामदियों का कब्जा है। बीआरडी मेडिकल कालेज के सामने ज्योतिनगर की खाली पडी दस बीघा जमीन पर लगा कूड़े का अंबार हटवाने के लिए उन्होने क्या किया इन सवालात का जवाब कौन देगा”



लखनऊ! वजीर-ए-आला आदित्यनाथ योगी के अपने शहर गोरखपुर के बाबा राघव दास मेडिकल कालेज में आक्सीजन की सप्लाई बंद होने से गुजिश्ता दस से बारह अगस्त के दरम्यान महज दो दिनों में दम घुटने से साठ से ज्यादा मासूम बच्चों की जान चली गई। उसपर हंगामा हुआ तो योगी सरकार ने प्रिंसिपल समेत अस्पताल के आठ डाक्टरों और मुलाजिमीन के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराकर तो वजीर-ए-आजम नरेन्द्र मोेदी ने इन मौतों को कुदरती आफत (प्राकृतिक आपदा) बता कर सरकार को बचाने की कोशिश की। अब ताजा रिपोर्ट से पता चला कि जनवरी से अगस्त के आखिर तक आठ महीनों में इस मेडिकल कालेज में साढे बारह सौ () बच्चों की मौत हो चुकी इनमें से 386 बच्चे तो सिर्फ अगस्त महीने में ही मौत के मुंह में चले गए। कालेज एडमिनिस्टेªशन ने कहा कि अगस्त मेे  मरने वाले बच्चों की तादाद 386 नहीं बल्कि 290 है। मतलब यह कि अस्पताल की नजर में एक महीने में 290 बच्चों की मौत कोई ज्यादा नहीं है। बीआरडी मेडिकल कालेज का यह बेरहमी का रवैया यूूं ही नहीं है। दरअस्ल कालेज  तो वजीर-ए-आला योगी के ही तौर तरीकों के मुताबिक बात और काम कर रहा है। अगस्त महीने में ही 386 या 290 बच्चों की मौत की खबर पर वजी–ए-आला आदित्यनाथ नाराज हो गए और बोले कि क्या सारी जिम्मेदारी सरकार की ही है। उन्होने कहा कि मीडिया बार-बार कह रहा है कि अस्पताल मे गंदगी है हम भी इसे तस्लीम कर लेते हैं तो क्या गंदगी साफ करने की जिम्मेदारी सिर्फ सरकार की ही है। वह यहीं नहीं रूके बोले ‘मुझे तो लगता है कि कहीं ऐसा न हो कि लोग अपने बच्चों की उम्र दो साल होते ही उन्हें यह कहकर सरकार भरोसे ही न छोड़ दें कि सरकार ही उन बच्चों की परवरिश भी करे। बीआरडी कालेज में 27 से 29 अगस्त के दरम्यान 48 घंटों के अंदर ही 42 बच्चों की मौत हो गई। यह खबर आम हुई तो वजीर-ए-आला आदित्यनाथ को बहुत नागवार गुजरा और उन्होने इस किस्म का बयान गुस्से में दे डाला। जिस दिन वजीर-ए-आला योगी आदित्यनाथ गंदगी के लिए अवाम को जिम्मेदार ठहरा रहे थे उसी दिन गोरखपुर से 21 बच्चों के मरने की खबर आ रही थी लेकिन वजीर-ए-आला ने उसका जिक्र तक करना मुनासिब नहीं समझा। इस तरह खबर लिखे जाने तक तीन दिन में 63 बच्चों की मौत हो चुकी थी।

स्टार्ट अप प्रोग्राम के दौरान वजीर-ए-आला आदित्यनाथ ने सारी जिम्मेदारी अवाम पर ही डालते हुए कहा कि हमारे अंदर सिविक सेंस (शहरियों  जैसा शऊर) नहीं है। हम सफाई भी नहीं करना चाहते हम समझते हैं कि सारी जिम्मेदारी सरकार की है, नगर निगमों की है गांव सभा की है। जैसे कि हम खुद तमाम जिम्मेदारियों से आजाद हो गए। लोगों ने अपनी जिम्मेदारी सरकार को दे दी है। मुझे तो कभी-कभी ऐसा भी लगता है कि एक वक्त के बाद कहीं ऐसा न हो कि लोग एक दो साल तक अपने बच्चों केा पालने के बाद उन्हें सरकार के भरोसे न छोड़ दें कि सरकार ही बच्चों की परवरिश करे। उन्होेने कहा मैं देख रहा हूं  कि लोग गाय को घर में रखेंगे दूध बेचेंगे लेकिन दूध दुहने के बाद गाय को सड़क पर छोड़ देंगे कि इनको सरकार देखे। मेरे पास शिकायत आती है मेम्बरान असम्बली कहते हैं कि गांवों में गौशाला खोल दें मैंने कहा वाह दूध पियोगे तुम और घास लाने व गोबर उठाने का काम सरकार करे यह कैसे मुमकिन है।
अब देखना यह है कि तीन दिनों मे 63 बच्चों की मौत के लिए आदित्यनाथ  योगी किसकी बलि लेंगे। आदित्यनाथ  कई बार से गोरखपुर से लोक सभा  का एलक्शन जीत रहे हैं। बच्चों को बचाने के लिए पीने के साफ पानी का बंदोबस्त और गोरखपुर में सीवेज ट्रीटमेंट प्लाण्ट की सख्त जरूरत है। यह दोनों काम कराने की कोई कोशिश उन्होने नहीं की इसके लिए कौन जिम्मेदार है। बीआरडी मेडिकल कालेज के सामने ज्योतिनगर में खाली पड़ी दस बीघा जमीन पर कूडे का पहाड़ खड़ा है। नगर निगम पर भी योगी के खुशामदियों का कब्जा है उन्हें जवाब देना पड़ेगा कि यह कूड़ा हटवाने का काम उन्होेने क्यों नहीं किया। मसेहरा में वेस्ट मैनेजमेंट का काम क्यों रूका हुआ है इसकी जिम्मेदारी किस पर है?    

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