लखनऊ । उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम के बाद महागठबंधन की पहल फिर शुरू हो गई है. अब तक एकला चलो की नीति वाली बसपा प्रमुख मायावती इसकी पहल कर रही हैं, दूसरी ओर जद(यू) नेता शरद यादव और नीतीश कुमार भी पहल कर रहे हैं. बसपा सूत्रों के मुताबिक, मायावती ने कांग्रेस के अहमद पटेल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, टीएमसी की ममता बनर्जी और राजद के लालू यादव से इसको लेकर बातचीत की ।
सूत्रों के मुताबिक, 22 फीसदी वोट पाने के बावजूद पार्टी के सिर्फ 19 सीटों तक सिमट जाने के बाद मायावती रणनीति में बदलाव पर गंभीरता से विचार कर रही हैं. यही वजह है कि नतीजों के अगले ही दिन उन्होंने कार्यकर्ताओं और दलित चिंतकों से तत्काल फीड बैक मांगा. वैसे, सपा प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी कहते हैं, ”अभी महागठबंधन पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. पर यह साफ है कि सांप्रदायिक शक्तियों से मुकाबले के लिए सही कदम उठाने के लिए सपा हमेशा तैयार है.” सपा से गठबंधन के खिलाफ रहे यूपी के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष निर्मल खत्री कहते हैं, ”यूपी में भाजपा की बड़ी जीत के पीछे अति पिछड़ा वर्ग का बीजेपी के साथ जाना है. इसके बावजूद सपा, कांग्रेस और बसपा को मिलाकर 51 फीसदी तो भाजपा को 40 फीसदी वोट मिले हैं. चुनाव की समीक्षा में इन बातों पर जरूर चर्चा होगी.”
7 मार्च को ओडिशा में ऐसी ही कवायद देखने को मिली. पूर्व लोकसभा अध्यक्ष रबि राय की अंत्येष्टि में नीतीश कुमार, शरद यादव और जनता दल सेकुलर नेता एच.डी. देवेगौड़ा भुवनेश्वर गए थे. इनकी ओडिशा के सीएम नवीन पटनायक के साथ बैठक हुई. यहां ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल को भी साथ लेकर महागठबंधन बनाने की चर्चा हुई. शुरुआती रूपरेखा में जद(यू), राजद, जेडी(एस), बीजेडी, आप, टीएमसी और सपा को साथ लेने की बात कही गई. मायावती की पहल से साफ है कि बसपा भी महागठबंधन में आएगी. बीजेडी उपाध्यक्ष सूर्यनारायण पात्र कहते हैं, ”गैर-भाजपावाद फिलहाल समय की जरूरत है. वक्त आने पर बीजेडी गैर-भाजपा दलों का मोर्चा बनाने में भूमिका निभाएगा.” बैठक के बाद देवेगौड़ा ने बताया कि पटनायक गैर-भाजपा दलों का मोर्चा बनाने के पक्ष में हैं ।