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Sunday, December 22, 2024

बेबीसिटर ने किया मासूम का ये हाल!

Why An Abusive Babysitter Is Walking Free

नई दिल्ली, एजेंसी। एक आया (बेबीसिटर) ने एक साल के मासूम बच्चे को बुरी तरह मारा-पीटा, कुछ समय बाद उसने अपनी गलती भी कुबूल कर ली, लेकिन उसे कोई सजा नहीं मिली। यहां तक कि आया की गिरफ्तारी भी नहीं हुई। यह मामला है अमेरिका के ओरेगॉन का। नाराज पैरेंट्स ने सोशल मीडिया पर अभियान चलाया। बच्चे के पिता जोशुआ मरबरी ने इस पूरे मामले पर एक फेसबुक पोस्ट लिखी, जिसे 4 लाख से भी ज्यादा लोगों ने शेयर किया। जानिए क्या था मामला…

एक कानून के कारण बच गया अपराधी

Why An Abusive Babysitter Is Walking Free

पिछले साल मार्च में जोशुआ मरबरी और एलिशिया क्विनी को एक रात के लिए शहर से बाहर जाना था। उन्होंने अपने एक साल के बेटे जैकब को एक आया की देखरेख में छोड़ दिया। लेकिन अगले दिन जब वे लौटे तो जैकब की हालत देखकर उनके होश उड़ गए। वह अपने बेडरूम में दर्द से तड़पते हुए बुरी तरह रो रहा था। उसके चेहरे समेत सारे शरीर पर मारपीट के निशान थे। यहां तक कि उसके गाल पर पंजे की छाप भी पड़ी हुई थी। सारे हालात इशारा कर रहे थे कि आया ने उस मासूम के साथ बुरी तरह क्रूरता की है। जोशुआ और एलिशिया को इसलिए भी ज्यादा दुख हुआ कि वे उस आया को अपने परिजन की तरह मानते थे। जैकब का मेडिकल चेकअप हुआ, पुलिस में रिपोर्ट भी हुई, लेकिन उस आया का कुछ भी न बिगड़ा। दो महीने बीत गए और पुलिस ने केस खत्म भी कर दिया ।

Why An Abusive Babysitter Is Walking Free

जब जोशुआ को वजह पता चली तो उनका खून खौल उठा। दरअसल, ओरेगॉन चाइल्ड एब्यूज एक्ट (2012) में यह प्रावधान है कि बच्चे के साथ किसी भी तरह की बदसलूकी के मामले में ठोस सबूत होने चाहिए। ठोस सबूत का तात्पर्य है या तो कोई चश्मदीद गवाह हो, जिसने अभियुक्त को ऐसा करते हुए देखा हो या फिर विक्टिम (यानी बच्चा) खुद इस बारे में बताए। जैकब के मामले में ये दोनों ही बातें मुमकिन नहीं थीं। जब उसके साथ बुरी तरह मारपीट की गई, उस समय वहां और कोई नहीं था। दूसरी तरफ, एक साल के जैकब को दर्द तो हो रहा था, पर वह इस बारे में कुछ बोल नहीं सकता था।

Why An Abusive Babysitter Is Walking Free

इसका नतीजा यह हुआ कि आया को कोई सजा नहीं हुई, यहां तक कि उसे पुलिस हिरासत में भी नहीं लिया गया। और मामला बंद कर दिया गया। जोशुआ का कहना है कि आया ने अपना अपराध मान लिया था, इसके बावजूद उसके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया गया। गुस्साए जोशुआ ने 20 मई, 2016 को इस पूरे मामले को लेकर एक फेसबुक पोस्ट लिखी। उनका कहना था कि उनके बच्चे के साथ जो भी हुआ, पर वे चाहते हैं कि आगे से किसी और बच्चे के साथ यह अन्याय न हो, इसके लिए कानून में बदलाव जरूरी है। इस पोस्ट को 4,06,882 बार शेयर किया गया। कई अखबार, वेबसाइट और न्यूज चैनल्स में भी इसकी चर्चा हुई, लेकिन कानून में बदलाव न हो सका।

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