लखनऊ। यूपी की सियासत में अखिलेश और मायावती का गठबंधन एक बड़ा झटका सबको देने वाली है। दो दिग्गजों के इस ऐतिहासिक मिलन को लेकर जहां सपा और बसपा चर्चा में हैं तो वहीं सपा से नाराज़ चल रहे शिवपाल इस गठबंधन के लिए मुसीबत खड़ी करने अपर उतारू हैं।
दरअसल मायावती और मुलायम सिंह के बीच की दुश्मनी जो 1993 गेस्ट हॉउस काण्ड के बाद सामने आई है उस दुश्मनी पर एक नया अध्याय जुड़ने वाला है। राजनीति में अखिलेश की बुआ के तौर पर मायावती अपने बबुआ अखिलेश से हाथ मिलाने को तैयार हो गई हैं। माना जा रहा है कि बिहार में अगस्त में रैली का आयोजन हो रहा है जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गाँधी के अलावा अशोक सिंह, लालू यादव, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक, शरद पवार और समान विचारधारा वाले अन्य दल मौजूद रहेंगे। इस आयोजन में मायावती और अखिलेश मंच पर के साथ हो सकते हैं।
शिवपाल की यह है योजना
शिवपाल यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर सेक्युलर मोर्चा बनाने की घोषणा तो पहले ही कर दी थी। अब वह अखिलेश और मायावती से टक्कर लेने के लिए मुलायम सिंह यादव को फिर से अपनी पार्टी में शीर्ष पद पर बिठाने का ऑफर दे सकते हैं। सपा खेमे से जो खबरें आ रही हैं कि मायावती भले ही दुश्मनी भूल गई है लेकिन मुलायम सिंह अभी भी मायावती के कट्टर दुश्मन हैं। वह बेटे का साथ छोड़ कर भाई शिवपाल की तरफ भी जा सकते हैं।
भाजपा से मिलेगा सेक्युलर मोर्चे को सपोर्ट
शिवपाल को भाजपा से सपोर्ट मिलने की सुगबुगाहट भी होने लगी है। मोदी और योगी किसी भी तरह से अपने प्रतिद्वंदियों को कामियाब होने नहीं देना चाहते हैं। यही वजह है कि योगी सरकार में जहां कई मंत्री और नेताओं की जेड श्रेणी की सुरक्षा छीन ली गई तो वहीं शिवपाल के लिए नरमी बरतते हुए उनकी जेड श्रेणी की सुरक्षा अभी भी बहाल है। भाजपा के आतंरिक श्रोत के मुताबिक सेक्युलर मोर्चा भाजपा के साथ आ सकता है अगर मुलायम ने शिवपाल की पेशकश को ठुकरा दिया तो। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर भाजपा- भगाओ देश बचाओ के नाम से जो आंदोलन चल रहा है उसमें कांग्रेस, सपा, आरजेडी और अन्य दलों को मात खानी पड़ेगी।