लखनऊ, शैलेन्द्र कुमार। आज जहां एक ओर सभी लोगों के दिमाग में सिर्फ एक यह बात चल रही है कि आखिर ऐसी क्या बात हुई जो सपा को कांग्रेस के साथ गठबंधन करना पड़ा? जो सपा सरकार अपनी पार्टी के दिग्गज नेताओं और अपने पार्टी के द्वारा किये गये कामों के दम पर अकेले ही चुनाव लड़ने और जीतने की बात कर रही थी उसे अचानक कांग्रेस का दामन क्यों थामना पड़ गया?
यहाँ तक कि विरोधी पार्टियों ने तो ये भी कयास लगाने चालू कर दिये कि सपा को यह भरोसा हो गया था कि इस बार वह चुनाव नही जीत पायेगी और उसकी चुनाव की नैया डूबने लगी है और डूबने से बचने के लिए उसने कांग्रेस का हाथ थाम उसका सहारा लिया है। इसका जवाब खुद सपा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिया है कि अगर उनकी पार्टी में आपसी झगड़े न हुए होते तो सपा का कांग्रेस के साथ गठबंधन होता ही नहीं।
बुधवार को एक अखबार के इंटरव्यू देते समय जब पत्रकार ने उसने पूछा कि- अगर सपा में पारिवारिक कलह नहीं होती तो क्या सपा और कांग्रेस का गठबंधन होता? इसका जवाब देते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि अगर परिवार में और पार्टी में आपसी झगड़े नहीं हुए होते तो शायद ये होता ही नहीं।
आपसी झगड़ों और कुछ राजनीतिक फैसलों के चलते कांग्रेस के साथ गठबंधन हुआ। उन्होंने कहा कि पारिवारिक झगड़ों और राजनीतिक फैसलों के कारण मजबूरी में ये गठबंधन हुआ, वरना होता ही नहीं।उन्होंने कहा कि जब से कांग्रेस के साथ गठबंधन से दो युवा नेताओं के साथ होने से प्रदेश की जनता की उम्मीदें भी बढ़ी हैं। उन्होंने कहा कि राहुल और मैं हम दोनों लोग एक जैसा ही सोचते हैं। और प्रदेश को विकासशील बनाने के लिए प्रयास रत हैं।
तो वहीं दूसरी तरफ सभी पार्टियों और उनके दिग्गज नेताओं के बयानों और वार-पलटवार को देखते हुए तो राजधानी की जनता को अब यह महसूस होने लगा है कि अब यह चुनाव चुनावी दंगल नहीं रह गया है बल्कि बयानों और वार-पलटवार का दंगल बन गया है। जिसमें रह जगह हर रोज जो भी नेता जनता को सम्बोधित करने जाता है वह विरोधी पार्टी पर लगातार हमले बोलते हुए बयानबाजी करता हुआ नजर आता है।
आपको बता दें कि गुरूवार को बहराइच के विश्वरिया मैदान में जनसभा को सम्बोधित करने गये पीएम नरेन्द्र्र मोदी ने सीएम अखिलेश के गुजरात के गधों पर बयान के जवाब में कहा कि अखिलेश जी गधे से डर गए। उन्होंने कहा कि अगर सोच सही हो तो गधा भी प्रेरणा दे सकता है और वह अपने मालिक का वफादार होता है।
उसी तरह मोदी भी सवा सौ करोड़ जनता का सेवक है। और गठबंधन पर निशाना साधते हुए कहा कि सपा ने दिल बड़ा करके नहीं दिल कड़ा करके कांग्रेस से गठबंधन किया। लेकिन यूपी की जनता अवसरवादी गठबंधन स्वीकार नहीं करती।वहीं दूसरी ओर गुरूवार को फैजाबाद , गोंडा व बलरामपुर की जनसभाओं में गये अखिलेश ने भी प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए बोले कि-पीएम की बौखलाहट से पता चलता है कि उनका दिल दिल्ली में नहीं लग रहा है।
वे केन्द्र की सरकार चलाने में समर्थ नहीं हैं। उन्होंने कहा कि- मैं चैलेंज करता हूं कि आप कुर्सी की अदला-बदली करके देख लीजिए, आप से अच्छी सरकार चलाकर दिखाऊंगा।बता दें कि गुरूवार को फैजाबाद व अंबेडकरनगर में जनसभाओं के संबोधन में बसपा प्रमुख मायावती ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पर पलटवार करते हुए उनके कसाब वाले बयान पर कहा कि-वे कसाब की परिभाषा बताते घूम रहे हैं, लेकिन खुद आतंकी कसाब से कम नहीं हैं।
गुजरात इसका सीधा प्रमाण है। भाजपा के इस कसाब और आतंक का राज यूपी की जनता कतई नहीं चाहती।
वहीं बता दें कि गुरूवार को ही अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी पहुंचे कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने गौरीगंज, अमेठी और जगदीशपुर में तीन सभाएं कर पीएम मोदी पर जमकर हमला बोलते नजर आये। उन्होंने कहा कि मोदी के वादे खोखले हैं और अब तक एक भी वादा पूरा नहीं किया है।
यूपी के चुनाव के वक्त वे किसानों के कर्ज माफ करने का वादा कर रहे हैं जबकि यह किसी भी प्रधानमंत्री के लिए सिर्फ 2 मिनट का काम है। वे जहां जाते हैं रिश्ता निभाने की बात करते हैं लेकिन रिश्ते जताने से नहीं निभाने से बनते हैं।
उन्होंने कहा कि ढाई साल पहले मोदी प्रधानमंत्री बने थे।
और देश के सबसे अमीर 50 परिवारों का एक लाख 40 हजार करोड़ का कर्ज माफ कर दिया। विजय माल्या हिंदुस्तान में शराब बेचता था। मोदी जी ने उसका भी 1200 करोड़ का कर्ज माफ कर दिया है। वह इस समय लंदन में बैठा है। हमने यूपी में 50 दिन यात्रा कर 2 करोड़ किसानों से उनकी समस्याओं से संबंधित फॉर्म लिए थे।
किसानों ने हमसे कहा कि मोदी जी से कहें हमारा कर्ज भी माफ कर दें। और बिजली का बिल आधा कर दें।
इस तरह चुनावी रण में लगातार वार और पलटवार करते हुए बयानबाजी का दंगल ज्यादा देखने को मिल रहा है। और पार्टियों के किये गये काम कम।