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Wednesday, January 15, 2025

योगीराज में भूख से तड़पकर मर गयी बच्ची।



इरफ़ान शाहिद:NOI।

एडवा और सीपीआईएम के प्रतिनिधि मण्डल ने पीड़ित परिवार और प्रषासन से मुलाकात की। पीड़ित परिवार को अपनी ओर से 15 हजार रूपये सहायता राषि के रूप में दिये।

लखीमपुर की निघासन तहसील में गरीबी और भूख से संघर्श कर रही 12 वर्शीय दलित बच्ची ने भूख न बर्दाष्त कर पाने पर तड़प-पड़प कर खुद अपनी जिन्दगी समाप्त कर ली। सूबे की राजधानी से सटे गांजर इलाके की इस खौफनाक घटना ने हमारे लोकतंत्र की जड़ों को हिलाकर रख दिया है। 

घटना की पूरी जानकारी लेने और पीड़ित परिवार को फौरी मदद पहुंचाने के लिए एडवा नेता सीमा राना के नेतृत्व में प्रतिनिधि मण्डल गया जिसमें माकपा लखीमपुर जिला सचिव बालेष्वर यादव, समाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र और विद्यावती षामिल थीं। पीड़ित परिवार और गांव वालों से मुलाकात के बाद प्रतिनिधि मण्डल की ओर से बयान जारी करते हुए सीमा राना ने बताया कि यह घटना 24 फरवरी को षाम 6 बजे की है। जगराना देवी जिनके पति की मृत्यु 4 साल पहले हो गयी थी। जगराना एक दलित विधवा मजदूरी करके किसी तरह अपने परिवार का पालन पोशण कर रही थी। 2013 में षारदा के कटाव से इनका बेलहा गांव पूरी तरीके से उजड़ गया जिससे ये लोग 10 किलोमीटर दूर आकर बस गये। पति की मृत्यु के बाद भी जगराना अपने 4 बच्चों की देखभाल कर रही थी। उसको मजदूरी का 110 रूप्ये मिलता था और मजदूरी भी प्रायः 3 दिन में एक बार मिल पाती थी। पूरे गांव में मनरेगा जैसी कोई योजना नही है। 35 किलो अनाज को बेचकर नमक और तेल खरीदती थी और गेंहू की पिसाई देती थी। जगराना ने अपनी बड़ी बेटी की षादी 18 साल की उम्र में किसी तरह कर्ज लेकर करी थी और इस कर्ज के भुगतान के लिए विधवा पेंषन से मिलने वाले 300 रूप्ये ब्याज में कट जाते थे और आजतक कर्ज की राषि का एक भी रूप्ये कम नही हुआ है। ऐसा महीने में कई बार होता था कि 2-2 दिन तक घर में खाना नही बन पाता था। 24 तारीख को पिछले 4 दिन से घर में खाना नही बना था और बच्चे भूख से बिलबिला रहे थे। जगराना किसी तरह गांव से 3 रोटी मांग कर लाई। हर बच्चे के हिस्से में एक-एक रोटी उसने बांट दी। 13 साल की बच्ची की पिछले 4 दिन की  भूख एक रोटी खाने से बुझने के स्थान पर और विकराल हो गयी। वो भूख के मारे तड़पने लगी तो जगराना किसी तरह 50 रूप्ये उधार लेकर बाजार से उसके खाने के लिए कुछ लेने गयी लेकिन उसकी बेटी को भूख बर्दाष्त नही हुई और उसने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। गौर करने वाली बात यह भी है कि गांव से कोटेदार की दुकान 10 किलोमीटर से ज्यादा दूर है इसलिए जगराना को जाने और आने में भी बहुत समय लगा। प्रतिनिधि मण्डल ने देखा कि उनके घर में कोई डिब्बा ये बरतन ऐसा नही है जिसमें अनाज या खाने का कोई सामान हो। गांव वालां से बात करके पता लगा कि एक बहुत बड़ी संख्या में लोग हैं जिनके पास राषन कार्ड ही नही है। इतनी भयावह घटना के 48 घण्टे बाद तक भी सरकारी महकमे से कोई भी मिलने नही आया। प्रतिनिधि मण्डल नें पीड़ित परिवार को तत्काल मदद के तौर पर 15 हजार रूप्ये की राषि राहत के रूप में दी और सरकारी सहायता दिलवाने के लिए एस0डी0एम0 से मिलने गये तो पता चला कि एस0डी0एम0 गौषाला के षिलान्यास में व्यस्त हैं इसलिए आज मिलपाना सम्भव नही है। इस तरीके की घटना योगी सरकार की कलई खोल देती है कि रोजगार के नाम पर इन्वेस्टर्स समिट की सिर्फ सजावट में 70 करोड़ रूप्या फूंक देता है और वहीं 13 साल की बच्ची भूख से तड़पकर जान दे देती है। अपने चुनावी संकल्प पत्र में सबका साथ सबका विकास का जुमला फेकनें वाली योगी सरकार बेहद बेषर्म और असंवेदनषील सरकार है जिसके राज में लखीमपुर में दलित बच्ची भूख से तड़पकर मर रही है तो उन्नाव में दलित बच्ची को जिन्दा जला दिया जा रहा है और पिछले महीने ही महमूदाबाद में दलित किसान ज्ञानचन्द को वसूली के नाम पर फाइनेंस कम्पनी ने ट्रैक्टर से कुचलकर मार दिया था। इस अतिसंवेदनषील सरकार के खिलाफ जनता के विभिन्न हिस्सों को मिलकर जुझारू संघर्श करने की जरूरत है। 

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