लखनऊ: कुछ दिनों बाद योगी आदित्यनाथ गोरखपुर के एमपी के पद से इस्तीफ़ा दे देगें. जिसका वादा उन्होंने उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बनने के बाद खुद किया था. योगी ने कहा था राष्ट्रपति के चुनाव के बाद वे गोरखपुर की लोकसभा सीट छोड़ देंगें. वे यहां से लगातार पांच बार सांसद रहे. उनसे पहले योगी के गुरू यहां के एमपी होते रहे. योगी गोरक्ष पीठ के महंत भी हैं. उनके इस्तीफ़े से 28 साल बाद गोरखपुर सीट से मंदिर का रिश्ता टूट जायेगा.
मुख्यमंत्री बनने के छह महीने में योगी आदित्यनाथ को एमएलएल या फिर एमएलसी बनना पड़ेगा. योगी ने जनता के बीच चुने जाने का मन बनाया है. उन्होंने एबीपी न्यूज़ से कहा, “गोरखपुर की किसी विधानसभा सीट से लड़ूंगा, उस इलाक़े को छोड़ कर कहां जाऊंगा?” वैसे अयोध्या से भी योगी के चुनाव लड़ने की ख़बरें आती रहती हैं.
1989 से ही गोरखपुर लोकसभा सीट गोरक्ष पीठ के पास रही है. योगी आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ लगातार तीन बार यहां की लोकसभा सीट से एमपी रहे थे. 1989, 1991 और 1996 में वे चुनाव जीते. बढ़ती उम्र के कारण 1998 में महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को चुनाव लड़ने को कहा. उनके कहने पर योगी ने चुनाव लड़ा. इसके बाद योगी लगातार गोरखपुर लोकसभी सीट से चुनाव जीतते आए हैं. हर बार की जीत में वोटों का अंतर पिछली बार के मुकाबले अधिक होता रहा.
योगी के बाद अब उनकी जगह गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव कौन लड़ेगा? ये अभी तय नहीं हुआ है. फ़ैसला जो भी हो लेकिन वो गोरक्ष पीठ का तो नहीं होगा. पीठ से जुड़े होने का योगी को चुनावों में हमेशा फ़ायदा मिलता रहा. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह 29 जुलाई को लखनऊ आ रहे हैं. वे तीन दिनों तक यहां मीटींग करेगें. उसके बाद तय हो जायेगा कि योगी कहां से चुनाव लड़ेंगे साथ ही गोरखपुर से लोकसभा का टिकट किसे मिलेगा?