सीतापुर-अनूप पाण्डेय/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर महमूदाबाद के राजा मोहम्मद आमिर अहमद खान भारत के विभाजन के समय इराक में थे। साल 1957 में उन्होंने भारत की नागरिकता छोड़ दी और पाकिस्तान चले गए थे। उनकी उत्तर प्रदेश के लखनऊ बाराबंकी लखीमपुर खीरी सीतापुर में करोड़ों की संपत्ति है।राजा महमूदाबाद की संपत्ति का लखनऊ में चल रहा था केस सीतापुर, बाराबंकी और लखीमपुर खीरी की संपत्तियों को लेकर था मामला ।2007 से कोर्ट में चल रही थी सुनवाई,कोर्ट ने संपत्ती जब्त करने का आदेश दिया।राजा महमूदाबाद मो. अमीर मोहम्मद खान और उनके परिवार के सदस्यों की करीब 421 करोड़ कीमत की जमीन सीलिंग ऐक्ट के तहत जब्त होगी। सीतापुर, बाराबंकी और लखीमपुर खीरी में मौजूद 422 हेक्टेअर जमीन सरकार अपने कब्जे में लेगी। इसके लिए एडीएम प्रशासन की कोर्ट ने तीनों जिलों के डीएम को निर्देश जारी कर दिए हैं।राजा अमीर मोहम्मद खान और उनके परिवारीजनों की काफी जमीन बाराबंकी, सीतापुर और लखीमपुर में थी। हाईकोर्ट की गाइडलाइंस के आधार पर एडीएम प्रशासन की कोर्ट में जोत सीमारोपण अधिनियम 1960 की धारा (2) के अंतर्गत सरकार बनाम राजा मोहम्मद अमीर अहमद खान के मुकदमे की सुनवाई साल 2007 से चल रही थी।
26 दिसंबर को हुआ सीलिंग का फैसला
सूत्रों के मुताबिक, जमीन बचाने के लिए कई बार फाइलें दबाई गईं। इस बीच कई अफसरों ने सुनवाई निस्तारित करने में दिलचस्पी भी नहीं दिखाई। फिलहाल 26 दिसंबर को एडीएम प्रशासन अमरपाल सिंह ने मुकदमा निस्तारित कर 422.005 हेक्टेअर भूमि की सीलिंग का फैसला सुना दिया।
जमीनों की कीमत 421 करोड़
एडीएम प्रशासन ने बताया कि सभी बिंदुओं पर सुनवाई के बाद तीनों जिलों में जमीन और बागवान मिलाकर 422.005 हेक्टेअर सीलिंग भूमि घोषित की गई है। तीनों जिलों का जिला प्रशासन ये जमीनें अब अपने कब्जे में लेगा। एडीएम कोर्ट से इसकी सूचना तीनों जिलों के डीएम को भेज दी गई है। जब्त जमीनों की कीमत 421 करोड़ आंकी गई है।
233 गांवों में जब्त होगी जमीन
सीतापुर: 182 गांवों में कुल 388.391 हेक्टेअर जमीन जब्त होगी। इनकी कीमत करीब 388 करोड़ है।
लखीमपुर खीरी: 31 गांवों में 10.659 हेक्टेअर जमीन सरकार अपने कब्जे में लेगी। इनकी कीमत करीब 11 करोड़ है।
बाराबंकी: 20 गांवों में 23.045 हेक्टेअर जमीन जिला प्रशासन कब्जे में लेगा। इनकी कीमड करीब 23 करोड़ आंकी गई है।
मुकदमे में शामिल नहीं थी लखनऊ की जमीन
लखनऊ में भी राजा महमूदाबाद की अकूत संपत्ति है। शहर से लेकर ग्रामीण इलाकों तक में राजा महमूदाबाद और उनके परिवारीजन की जमीने हैं। एडीएम प्रशासन का कहना है कि लंबित मुकदमे में लखनऊ की जमीनों का कोई मामला नहीं था। कोई दूसरा मामला सामने आता है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
सीलिंग ऐक्ट, 18 एकड़ से ज्यादा नहीं रख सकते जमीन
जमींदारी प्रथा के उन्मूलन के बाद साल 1961 में सीलिंग एक्ट लागू किया गया। यह कानून बनने के बाद एक परिवार को 15 एकड़ से ज्यादा सिंचित भूमि रखने का अधिकार नहीं है। असिंचित भूमि के मामले में यह रकबा 18 एकड़ तक बढ़ सकता है।
राजधानी में भी कई इमारतें
लखनऊ: बटलर पैलेस, महमूदाबाद मेंशन, हलवासिया मॉर्केट, लारी बिल्डिंग, मलका जमानिया- गोलागंज।सीतापुर: एसपी आवास, डीएम आवास, सीएमओ आवास। महमूदाबाद, सहजनी, पैतेपुर, सेमरा, गुलारमऊ, केदारपुर, चंदनपुर, रसूलाबाद, सिकंदराबाद, सरैया राजा सा में बागवानी व अन्य जमीनें।
लखीमपुर खीरी: एसपी बंगला और गढ़ी इब्राहीमपुर, रसूलपुर, जलालपुर व पिपरझला में कई संपत्तियां।
बाराबंकी: अल्लापुर, रानीमऊ, बघौली, सुरजनपुर और गौर गजनी समेत कई गांवों में जमीनें।
विदेश में भी संपत्तियां, कुल कीमत 50 हजार करोड़
राजा महमूदाबाद व उनके परिवारीजनों की इराक, पाकिस्तान और अन्य देशों में भी अकूत संपत्तियां हैं। उत्तराखंड में भी उनकी 396 संपत्तियां आंकी गई हैं। अक्टूबर 2006 में हुए सरकारी आकलन के अनुसार, उनकी संपत्तियों की कीमत करीब 50 हजार करोड़ रुपये थे।1962 से चल रहा था मालिकाना हक का विवाद
महमूदाबाद के राजा मोहम्मद आमिर अहमद खान भारत के विभाजन के समय इराक में थे। साल 1957 में उन्होंने भारत की नागरिकता छोड़ दी और पाकिस्तान चले गए थे। कुछ परिवारीजन भारत में ही रह गए और बाकी पाकिस्तान चले गए थे। रक्षा अधिनियम-1962 के तहत सरकार ने पाकिस्तान गए राजा के परिवारीजनों की संपत्तियों को अपने संरक्षण में लेकर शत्रु संपत्ति घोषित कर दी। साल 1973 में उनके बेटे राजा मोहम्मद आमिर मोहम्मद खान ने संपत्तियों पर दावा पेश किया और मुकदमे का सिलसिला शुरू हुआ। 2010 में सरकार ने शत्रु संपत्ति अधिनियम में संशोधन किया और राजा की सभी संपत्तियां कस्टोडियन में चली गईं। सात जनवरी 2016 को नया अध्यादेश आने पर सुप्रीम कोर्ट ने शत्रु संपत्तियों को बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया था।