मुस्लिम युवाओं की भावनाओं से खेल रहा है मामूली शायर इमरान प्रतापगढ़ी !
लखनऊ,न्यूज़ वन इंडिया- मो इरफ़ान शाहिद। पिछले एक महीने से फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब पर इमरान तथा उसके समर्थकों द्वारा मॉब-लिंचिंग के बहाने खुद की मॉर्केटिंग का जो तिलिस्म रचा गया था उसकी पोल आठ अगस्त को खुल गयी। जब लखनऊ से गए एक व्यक्ति (इरफ़ान शाहिद) ने इस कार्यक्रम को देख, रक्त-दान करने का फैसला किया। जिन्हे विरोध करने का यह तरीक़ा अनोखा लगा और वो खुद अपना रक्त-दान कर बैठे। लेकिन ठीक दो दिन बात “लहू बोल रहा है” की पोल खुल गयी, जब लखनऊ से आय इरफ़ान को लखनऊ में एडमिट अपने पिता के मित्र आकाश जायसवाल के पिता जो बहुत ही बीमार हैं जिन्हे ब्लड की बहुत ज़रूरत पड़ गई। इरफ़ान ने तुरंत यह सूचना इमरान प्रतापगढ़ी के फेसबुक पेज पर उन्हें सन्देश भेज कर दिया और अपने फेसबुक वाल पर लिख उन्हें टैग भी किया। लेकिन इमरान प्रतापगढ़ी व उसके समर्थक सिर्फ अपने फायदे के लिए तमाम मुसलमानों को बेवक़ूफ़ बना रहे हैं। ना ही इरफ़ान के मैसेज का जवाब दिया और न ही कॉल उठाया। दूसरे दिन फ़ोन उठा भी लेकिन जब इरफ़ान ने शिकायत की तो उनके समर्थक शमीम ने फ़ोन काट दिया। तभी इमराण प्रतापगढ़ी का असली चेहरा सामने आया। “लहू बोल रहा है” की खुल गई पोल।
इमरान प्रतापगढ़ी ने दिया मुस्लिम नौजवानों को धोखा।
जिस प्रकार इमरान ने ज़ोर शोर से अपने छह लाख फॉलोवर के बीच देश भर के बाज़ारू किस्म के नेताओं के समर्थन, अंधभक्तों की भीड़, खुद के पोस्टर, वीडियो आदि का कुचक्र रच एक अलग ही दुनिया बना दी थी उसका भंडा फूट गया।
बीते एक महीने से सोशल मीडिया पर ऐसा माहौल बनाया जा रहा था कि मुशायरों में तुकबंदी करने वाला शख्स ही मॉब लिंचिंग के विरूद्ध मशाल लेकर चल रहा हो लेकिन यह भ्रम तब टूट गया जब उसके तमाम प्रोपगेंडा तथा प्रचार के बाद भी उम्मीद से कम लोग इस कार्यक्रम में अपनी मौजूदगी दे सके।
इस बीच जंतर मंतर पर लोग बेहोश भी हुए। खून निकालने की मुहिम चलाने वाले इमरान के भक्तों की बदइंतज़ामी का यह आलम रहा कि उन्होंने न तो पानी न ही फल/जूस का इंतज़ाम किया। दिल्ली की सड़ा देने वाली गर्मी में लोगों को सड़क पर लेटा कर खून निकाल लिया गया। इन बिगड़े हालात में दिल्ली की एक स्वयंसेवी संस्था के कुछ जुझारू नौजवानों ने अपने जेब से पैसा लगा कर जूस तथा पानी का इंतज़ाम किया। इमरान के प्रमुख भक्त पूरे टाइम इधर उधर टहलते रहे।
जैसा माहौल बनाया गया उसके उलट जंतर मंतर पर भीड़ न जुटने से इमरान तथा उसके समर्थकों में सन्नाटा छा गया। मॉर्केटिंग में थर्ड डिवीज़न पॉस शायर महोदय ने अपने नेता मित्रों को दिखा दिया कि,’मेरे कहने पर लोग खून दे सकते हैं, आगे वोट भी देंगे।’ क़ौम के सदाबहार क्रांतिकारियों ने सेल्फियां अपलोड कर दी हैं।
आम मुसलमान हमेशा भीड़तंत्र का शिकार होता है !
है कोई जवाब क़ौम के ठेकेदारों के पास? आम मुसलमान हमेशा भीड़तंत्र का शिकार होता है। जंतर मंतर पर भी आम मुसलमान का शिकार किया गया। मुसलमानों का खून पीट कर सड़क पर न बहाने का नारा देने वालों ने आज जंतर मंतर पर उसी मुसलमान को सड़क पर लिटा कर खून निकाल दिया।
ये कौन लोग हैं। कहां से आते हैं। इनके ज़मीर पर चोट नहीं लगती क्या? क्या इन्हें शर्म नहीं आती?
‘लहू बोल रहा है’ के ब्रांड एंबेसडर माजिद मेमन का भी चेहरा बेनक़ाब
पत्रकारों ने ‘लहू बोलता है’ के ब्रांड एंबेसडर से पूछा कि अहमद पटेल को लेकर पार्टी ने जो फैसला किया उसमें आपका क्या कहना है।
आरएसएस, भाजपा व मॉब लिंचिंग पर लंबा भाषण देने वाले वकील/राज्यसभा सदस्य माजिद मेमन ने कहा,’पार्टी का डिसीजन है, सही है।’
आज जब देश में अक्लियतों को साइड लाइन लगाने की मुहिम चल रही है तो माजिद का ये स्टैंड रहा। मंच पर चढ़ कर लच्छेदार भाषण की सारी हवा उड़ गई जब सच में संघ का विरोध करने का मौका आया।
गुड जॉब भाई