नई दिल्ली। सेबी ने प्राइस वॉटरहाउस को किसी भी लिस्टेड कंपनी के ऑडिट करने से दो वर्ष की पाबंदी लगा दी है। सेबी ने प्राइस वॉटरहाउस पर यह पाबंदी सत्यम कंपनी के फर्जीवाड़े में कथित रूप से मिलीभगत की वजह से लगाई है। इसके साथ ही सेबी ने कंपनी को जनवरी 2009 से 13 करोड़ रुपए पर फीसदी ब्याज की दर से भुगतान करने का भी आदेश दिया है।
सेबी ने बुधवार को 108 पेज के अपने आदेश में कहा है कि प्राइस वॉटरहाउस कंपनी बतौर चार्टर्ड अकाउंट फर्म के तौर पर काम कर रही है, वह परोक्ष या अपरोक्ष रूप से कंपनी को कोई भी ऑडिट का सर्टिफिकेट जारी नहीं करेगी, कंपनी पर यह पाबंदी अगले दो वर्षों तक के लिए रहेगी। इससे पहले 2010 को सेबी ने प्राइस वॉटरहाउस व अन्य कंपनियों को नोटिस जारी किया था। सत्यम कंपनी के फर्जीवाड़े में इन कंपनियों की मिलीभगत के चलते यह नोटिस जारी किया गया था।
वर्ष 2009 में सत्यम कंपनी के चेयरमैन बी रामलिंगन राजू ने एक पत्र लिखा था जिमसे कहा गया था कि कंपनी की बैलेंस शीट में ऐसे बैंक खाते व कैश की जानकारी दी गई है जोकि मौजूद नहीं है। जिसके बाद सेबी ने कंपनी के खिलाफ कार्रवाई की थी। वहीं सेबी के आदेश के बाद प्राइस वॉटरहाउस ने कहा कि हम फैसले से निराश हैं। सेबी ने ऐसे मामले में कार्रवाई की है जोकि तकरीबन एक दशक पहले हुआ था औऱ उसमे हमारी कोई भूमिका नहीं थी और ना ही हमे कोई जानकारी थी।