लखनऊ,न्यूज़ वन इंडिया-दीपक ठाकुर। अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी आम ना हो कर खास पर ज़्यादा तवज्जो देने लगी है यही वजह है कि वो अपने काम से कम और कारनामो से ज़्यादा सुर्खियां बटोर रही है।लाभ के पद को लेकर पार्टी के 20 विधायकों की सदस्यता पर तलवार लटक रही है।लेकिन फिर भी आम आदमी पार्टी पूर्ण बहुमत होने की बात कह कर डटी हुई है।
भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पार्टी इस उम्मीद पर हैं कि सदस्यता खत्म हो तो वो अपनी ताकत दिखाएं मगर आप कहती है कि हम बेगुनाह है हमारी बात कोई सुन ही नही रहा और हमको बेजा परेशान किया जा रहा है सीधे तौर पे देखा जाए तो ये हमारे साथ एक राजनैतिक षड्यंत्र का बड़ा हिस्सा है।हालांकि इस मामले में जिसने याचिका की है उसका किसी पार्टी से कोई लेना देना नही है फिर भी आम आदमी पार्टी इसको राजनीती का जामा पहना कर सहानभूति लेने का भरपूर प्रयास कर रही है।
इलेक्शन कमीशन ने तो सदस्यता खारिज कर दी है मामला राष्ट्रपति तक पहुंच भी गया है ऐसे में अगर वहां से भी आप को सुखद सामाचार नही प्राप्त हुआ तो एक बात तो तय है कि उनका दिल्ली में राज करने का आसान मौका कठिनाई से भर जाएगा।अगर 20 सीटो पर चुनाव हुए और आप का खाता भी ना खुला जैसा उन्ही के पार्टी से निष्कासित विधायक कपिल मिश्रा कह चुके है तो मान लीजिए कि अरविंद का राज योग कांपता हुआ ही नज़र आएगा।क्योंकि ऐसा होने पर ये मान लिया जाएगा कि दिल्ली की जनता आप को समझ चुकी है और वो दोबारा उनको सत्ता देने के मूड में नही है।लेकिन फिर भी अगर आप पार्टी ने वहां दोबारा फतह हासिल कर ली तो ये भी तय है कि विपक्षियों के षड्यंत्र की पोल खुल जाएगी और दूध का दूध पानी का पानी भी हो जाएगा।फिलहाल गेंद राष्ट्रपति महोदय के पाले में है और उसी तरफ सबकी निगाहें भी।