दिल्ली के राजनीतिक हलके में पूछा जा रहा है कि आखिर राहुल गांधी ने इस समय लोकपाल को लेकर ट्विट क्यों किया? इस समय देश में कई और बड़े राजनीतिक मसले चल रहे हैं। उनके बीच राहुल गांधी ने लोकपाल का मुद्दा उठाया। उन्होंने ट्विट करके पूछा कि चार साल होने जा रहे हैं लोकपाल का क्या हुआ। उनके समर्थकों ने लोकपाल पर दिए नरेंद्र मोदी के पुराने बयानों और उनके ट्विट का स्क्रीनशॉट लेकर सोशल मीडिया में शेयर किया। राहुल गांधी का यह ट्विट और उनके समर्थकों का इसका प्रचार करना अनायास नहीं है।
राहुल ने जिस समय लोकपाल को लेकर ट्विट किया उसी समय लोकपाल आंदोलन के नेता अन्ना हजारे ने कहा कि वे इसे लेकर फिर से आंदोलन करेंगे। उन्होंने आंदोलन की तारीख का ऐलान कर दिया है। यूपीए सरकार की जड़ हिला देने वाले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन का केंद्र रहा अन्ना हजारे ने कहा है कि वे 23 मार्च से दिल्ली में अनशन करेंगे। गौरतलब है कि 23 मार्च 1931 को भगत सिंह और उनके साथियों को फांसी दी गई थी। अन्ना के पिछले आंदोलन में भी भगत सिंह की शहादत का खूब प्रचार हुआ था और उसके सहारे युवाओं को आंदोलन से जोड़ा गया था।
सो, इस बार अन्ना हजारे ने 23 मार्च की तारीख अनशन के लिए तय की है। माना जा रहा है कि अन्ना हजारे का लोकपाल पर अनशन का ऐलान और राहुल गांधी का लोकपाल नियुक्त करने में हो रही देरी का सवाल उठाना महज संयोग नहीं है। जानकार सूत्रों के मुताबिक 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में ए राजा और कनिमोझी के बरी होने के बाद कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोपों से स्थायी मुक्ति चाहती है। इसके लिए वह टेबल पलटने की तैयारी कर रही है। इस काम में अन्ना हजारे का इस्तेमाल हो सकता है।
कांग्रेस आक्रमण को बचाव की रणनीति के तौर पर इस्तेमाल करेगी और भ्रष्टाचार के मसले पर केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को कठघरे में खड़ा करेगी। इसकी तैयारी में ही पहला सवाल लोकपाल के गठन का उठाया गया है। अन्ना हजारे के आंदोलन से इसका माहौल बनेगा। अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि अन्ना हजारे के आंदोलन को कितनी सफलता मिलेगी, लेकिन भ्रष्टाचार से लड़ने में केंद्र सरकार की विफलता का मैसेज इससे पूरे देश में जरूर जाएगा। जब वे लोकपाल नहीं बनाने का सवाल पूछेंगे तो देश भर के लोगों के जेहन में यह बात बैठेगी। इसका मनोवैज्ञानिक फायदा कांग्रेस को होगा।