लखनऊ,इरफ़ान शाहिद।अवैध बूचड़खानों पर हुई प्रदेश सरकार की ठोस कार्यवाई से मीट कारोबारी काफी त्रस्त नज़र आ रहे थे जिसके विरोध में उन्होंने कई दिन हड़ताल भी कर रखी थी फिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हुई वार्ता के बाद हड़ताल तो समाप्त कर ली गई पर उनकी कार्यशैली में कोई विशेष परिवर्तन नहीं आया।
अवैध बूचड़खाना हो या मीट की दूकान सभी के लिए लाइसेंस का होना ज़रूरी होगा और जो मानक तय किये गए हैं उनको ध्यान में रख कर ही कारोबार होगा यही निष्कर्ष था उस बैठक का पर आज पहले और अब के माहौल में कुछ ख़ास परिवर्तन हुआ हो ऐसा हमे तो नहीं लगता क्योंकि हमारी जानकारी में इसको लेकर जितनी बाते आई है उससे तो यही लग रहा है कि मीट कारोबारी अपनी दुकान खोल कर उसी अंदाज में अपना कारोबार चलाने में लगे हुए हैं।
हम अगर ठाकुरगंज क्षेत्र की बात करें या बालागंज की बात करें तो यहाँ भी वही सड़क के किनारे लोगों ने अपनी दुकानें सजा रखी है कपड़ा ज़रूर बाँध रखा है पर वो इस लिए के कही धूप पा कर मांस खराब ना हो जाये यहाँ गलती सिर्फ इन दुकानदारों की भी नहीं कही जा सकती क्योंकि जिस विभाग के पास ये ज़िम्मेवारी वही सुस्त पड़ा हुआ है तो ऐसे में मानक और लाइसेंस की परवाह भला ये क्यों करेंगे।
हम तक जो सुचना आ रही उसमे सब यही बता रहे है कि मीट की दुकानों पर वैसे ही मीट टंगा हुआ है क्या है क्या नहीं ये भी नहीं पता चल पा रहा जब यही पहले भी होता था तो आखिर इतनी हाय तौबा क्यों मचाई गई और जब कोई एक्शन लिया ही गया तो उस पर ठोस कारवाई काहे नही की जा रही ये कई सवाल है जो उन जनता की जुबां पर उस वक़्त आये जब मीट की बाज़ार अपने पुराने अंदाज़ में नज़र आई।
यहाँ प्रदेश सरकार को विशेष ध्यान देने की ज़रूरत इस बात को लेकर होनी चाहिए की वैध दुकानों की आड़ में अवैध धंधा कौन कौन कर रहा है और जो मानक तय किये गए हैं उसका पालन क्यों नहीं हो रहा है।सरकार को सम्बंधित विभाग से इस मामले में रिपोर्ट तलब करनी चाहिए कि हर क्षेत्र में वैध और अवैध दुकानें चिन्हित करे जिसमे दोषी पाए जाने वालों पर कारवाई भी जाए इस तरह सब होता देख आँख मूंद कर बैठने से सरकार की छवि को धक्का लग सकता है क्योंकि प्रदेश सरकार ने जब इसके खिलाफ मुहिम चलाई थी तब विरोध के बावजूद समर्थन करने वालों की संख्या कुछ ज़्यादा ही नज़र आ रही थी।