जेवर में एक ही परिवार की चार महिलाओं के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म मामले की प्राथमिक जांच में कोई सबूत नहीं मिलने पर विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। एक डॉक्टर का मानना है कि 90 फीसद शादीशुदा महिलाओं के साथ दुष्कर्म होने की स्थिति में कई बार प्राथमिक सबूत नहीं मिल पाते, लेकिन ऐसी स्थिति में डीएनए जांच अहम होती है।
वहीं, दूसरी विशेषज्ञ डॉक्टर का मानना है कि दुष्कर्म के मामले में प्रतिरोध के कुछ न कुछ सबूत अनिवार्य तौर पर मिलने चाहिए। कोई सबूत नहीं मिलना तभी संभव है, जब महिलाएं बेहद डर गई हों।
उल्लेखनीय है कि जेवर के कथित दुष्कर्म मामले में चारों महिलाओं की प्राथमिक रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए सीएमओ व अन्य अधिकारियों ने प्रथम दृष्टतया दुष्कर्म का कोई सबूत नहीं मिलने का दावा किया है।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि किसी भी महिला के शरीर में या उसके निजी अंग में कहीं भी छेड़छाड़ के निशान नहीं मिले हैं। आगे की जांच के लिए डीएनए का नमूना लेकर फॉरेंसिक जांच को भेज दिया गया है। वहीं, इस मामले पर विशेषज्ञों की राय जुदा है, जिसे समझना जरूरी है।
– विशेषज्ञों का मत
जिला अस्पताल की पूर्व सीएमएस डॉ. राजरानी कंसल का कहना है…
-90 फीसद शादीशुदा महिलाओं में दुष्कर्म के प्राथमिक सबूत नहीं मिलते।
-ऐसी स्थिति में डीएनए जांच अहम होती है।
-निजी अंगों में आरोपियों के स्पर्म भले न मिलें, लेकिन डीएनए जांच में उनके फ्लूड्स (पानीनुमा लसीला द्रव) अवश्य मिलता है। इससे अपराधी बच नहीं सकते।
-यह भला कैसे हो सकता है कि दुष्कर्म के समय महिलाओं ने प्रतिरोध न किया हो। इसके कुछ न कुछ जख्म या खरोंच के निशान मिलने चाहिए।
-यह संभव है कि इस केस में परिवार के एक सदस्य को गोली मारे जाने के बाद महिलाओं ने डर से प्रतिरोध न किया हो।
-स्पर्म नहीं मिलना अलग बात है, लेकिन जननांगो में सूजन या हल्का-फुल्का पेनीट्रेशन का निशान अवश्य होता है।
-ऐसी स्थिति में परिस्थितिजन्य साक्ष्य अहम होते हैं। जैसे- महिला के बालों का बिखरे होना, कपड़े अस्त-व्यस्त होना, महिला का घबराई होना व बदहवाश होना।
-महिला के निजी अंगों में पुरुष के बाल या अन्य पार्टिकल्स का होना।
-यह जरूरी नहीं है कि प्राथमिक जांच में शादीशुदा महिलाओं में दुष्कर्म की पुष्टि हो जाए। करीब 90 फीसद महिलाओं में दुष्कर्म की पुष्टि डीएनए जांच व परिस्थितिजन्य साक्ष्यों से होती है।