लखनऊ। जीएसटी दिवस पर लोहिया विधि विश्वविद्यालय में आयोजित इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आइसीएआइ) के स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 22 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश का बजट चार लाख करोड़ रुपये भी नहीं पहुंच पाता है।
जिस तरह से तमाम नागरिक सुविधाओं के लिए लोगों की अपेक्षाएं बढ़ रही हैं, उसे देखते हुए उप्र जैसे राज्य के बजट का आकार कम से कम दस लाख करोड़ रुपये होना चाहिए। चार लाख करोड़ रुपये के बजट से उप्र का विकास नहीं हो सकता है।
गौरतलब है कि योगी सरकार 11 जुलाई को विधानमंडल के दोनों सदनों में अपना पहला बजट पेश करने वाली है। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के विकास के लिए संसाधन चाहिए।
अब तक लागू अप्रत्यक्ष करों के दौर में देश में एक करोड़ लोग भी टैक्स नहीं देते थे। जीएसटी लागू होने पर पांच करोड़ लोग रजिस्ट्रेशन कराकर टैक्स देंगे।
जीएसटी का सबसे ज्यादा फायदा उप्र को होगा क्योंकि यह उपभोग आधारित कर प्रणाली है। उन्होंने उम्मीद जतायी कि जीएसटी लागू होने पर प्रदेश के विकास को गति मिलेगी।
जीएसटी आम आदमी और छोटे कारोबारियों के हित में
मुख्यमंत्री ने जीएसटी को गरीबों और छोटे व्यापारियों के हित में बताया। कहा कि इससे कर चोरी, भ्रष्टाचार, काला बाजारी की गुंजायश नहीं रहेगी। इंस्पेक्टर राज खत्म होगा। बाजार में विषमता नहीं रह पाएगी। व्यापारी लाभान्वित होगा और उपभोक्ता भी राहत महसूस करेगा।
विरोधियों पर साधा निशाना
योगी ने कहा कि राजनीतिक स्वार्थों के लिए राष्ट्र को दांव पर लगाने के लिए जब होड़ लगी हो, तब ऐसा साहसिक फैसला लेना अभिनंदनीय है।
अप्रत्यक्ष करों की मार और उनकी परतंत्रता से मुक्ति दिलाने का जब अवसर आया तो कुछ दलों ने संसद के केंद्रीय कक्ष में आयोजित ऐतिहासिक कार्यक्रम का बहिष्कार किया।
इसके बावजूद प्रधानमंत्री ने जीएसटी का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सभी दलों का आभार जताया।