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Wednesday, January 15, 2025

5 पॉइंट्स में जानिए योगी आदित्यनाथ के लिए क्यों जरूरी है निकाय चुनाव में जीत



लखनऊ। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव के लिए वोटों की गिनती शुरू हो गई है। परिणाम कुछ ही घंटों में सामने होंगे। निकाय चुनाव में सबसे बड़ी साख सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ की दांव पर है। जाहिर है यूपी में बीजेपी की सरकार बनने के बाद पहली बार योगी के नेतृत्व में बीजेपी किसी चुनावी मैदान में उतरी है। दूसरी तरफ इस निकाय चुनाव को 2019 लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल भी माना जा रहा है। ऐसे में भारी बहुमत के साथ यूपी की सत्ता संभाल रही बीजेपी और उसके मुखिया

योगी आदित्यनाथ

के लिए इस सेमीफाइनल में जीत के मायने और बढ़ जाते हैं। आइए एक नजर डालते हैं कि योगी के लिए इस निकाय चुनाव में जीत के क्या-क्या मायने हैं-

नेतृत्व क्षमता पर उठ रहे सवालों का जवाब

सीएम योगी के सत्ता संभालने के बाद पहली बार बीजेपी चुनावी मैदान में है। हाल के दिनों में विपक्ष लगातार योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाती रही है। ऐसे में निकाय चुनाव के परिणाम मुख्यमंत्री के नेतृत्व क्षमता को लेकर उठ रहे सवालों पर विराम लगा देंगे। इन चुनावों में अगर

बीजेपी

को जीत मिलती है तो इससे सीएम योगी का राष्ट्रीय स्तर पर कद बढ़ेगा और पार्टी की भविष्य की योजनाओं में योगी को प्रमुखता मिलेगी।

गुजरात विधानसभा के चुनाव पर पड़ेगा असर

यूपी के नगर निकाय चुनाव में अगर बीजेपी अच्छा करती है तो इसका असर गुजरात में होने वाले मतदान पर भी पड़ेगा। माना जा रहा है कि यूपी में निकाय चुनाव की विजय को बीजेपी गुजरात चुनाव के दौरान जनता के पार्टी पर भरोसे के रूप में प्रदर्शित कर सकेगी। इसका सीधा लाभ उसे मतदाताओं का समर्थन हासिल करने में होगा।

2019 के लोकसभा चुनाव का ‘सेमीफाइनल’

यूपी के निकाय चुनाव को राजनीतिक विशेषज्ञ 2019 के लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के रूप में देख रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस उत्तर प्रदेश में बीजेपी ने लोकसभा की 70 से ज्यादा सीट जीती थीं, उसमें निकाय चुनाव के परिणाम भी पार्टी का भविष्य निर्धारित करेंगे। वहीं निकाय चुनाव के परिणाम अच्छे हुए तो बीजेपी को जहां इससे लोकसभा में अपनी लोकप्रियता साबित करने में मदद मिलेगी, वहीं नकारात्मक परिणाम मिलने पर आत्ममंथन का अवसर भी मिलेगा।

निकाय चुनाव मिनी जनमत संग्रह

आबादी के लिहाज से देश के सबसे बड़े सूबे की सत्ता संभालने वाले सीएम योगी के लिए नगर निकाय चुनाव एक तरह से मिनी जनमत संग्रह है। समाजवादी पार्टी के विकास के दावे पर सवाल उठाकर सत्ता में आने वाली बीजेपी के लिए ये चुनाव उनके कामकाज पर जनता दरबार में परीक्षा के रूप में देखा जा रहा है। पिछले चुनाव में बीजेपी ने मेयर पद की 13 सीटों में से 11 पर जीत हासिल की थी। इस बार सीएम योगी पर सत्ता में रहते हुए न केवल पिछले प्रदर्शन को दोहराने बल्कि और ज्यादा बेहतर करने का दबाव रहेगा।

वाराणसी और लखनऊ की विजय होगी महत्वपूर्ण

निकाय चुनाव में बीजेपी कई महत्वपूर्ण सीटों पर विजय के लिए सारी ताकत झोंक चुकी है। इन सीटों में वाराणसी, इलाहाबाद, लखनऊ, गोरखपुर और मथुरा नगर निगम की सीटें प्रमुख हैं। एक ओर जहां परोक्ष रूप से गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने लखनऊ में चुनावी तैयारियों में हिस्सा लिया है वहीं इलाहाबाद और लखनऊ प्रदेश के दोनों उप मुख्यमंत्रियों के गृह जनपद हैं। इसके अलावा गोरखपुर की सीट पर सीएम और वाराणसी सीट पर पीएम मोदी की प्रतिष्ठा के लिए विजय जरूरी है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसी स्थिति में बीजेपी अगर इनमें से किसी भी सीट पर पराजित होती है तो विपक्षी पार्टियां इस परिणाम को उसकी विश्वसनीयता पर सवाल के रूप में प्रसारित करेंगी।

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