लखनऊ। देश में कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर आज लाखों लोगों ने गंगा में अस्था की डुबकी लगाई। आज का दिन स्नान व दान के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। ब्रह्म मुहूर्त में गंगा स्नान के लिए रात्रि के प्रथम प्रहर से ही गांव-गिरांव के लाखों नर-नारी गंगा किनारे घाटों पर जमा हो चुके थे। लोग हरहर महादेव, हरहर गंगे के घोष के साथ भोर से लेकर दोपहर तक गंगा स्नान करते नजर आए। इस पूर्णिमा को त्रिपुरी पूर्णिमा और गंगा स्नान पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है।
काशी में पूर्णिमा के स्नान के लिए पंचगंगा,दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर मुख्यतः गंगा स्नान का विधान है। पुराणों के अनुसार इस दिन भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करनी चाहिए। पुराणों में वर्णन मिलता है कि इस दिन को भगवान विष्णु नें मतस्य अवतार लिया था। कार्तिक पूर्णिमा के दिन स्नान और दान का महत्व है। घरों में लोगों ने प्रातः काल सूर्य देव को अक्षत और लाल फूल डाल कर जल अर्पित किया।
लोग इस दिन सरसों का तेल, तिल, काले वस्त्र का दान करते है। सायं तुलसी के पास दीपक जलाते है। गंगा स्नान के बाद दान का विशेष महत्व है। ऐसे में जहां स्नान करने वालों ने रात से ही जगह छेंक ली थी वहीं भिक्षाटन पर आश्रित रहने वलों की भी लंबी कतारें सभी प्रमुख घाटों के आसपास दिखीं। यह ऐसा दिवस है जब प्रातरू उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और सायंकाल पूर्णिमा के चांद को।
शास्त्र कहते हैं कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के सारे पाप धुल जाते हैं। गंगा स्नान के दिन व्रत रखने से विशेष फल मिलता है। इस अवधारणा में आस्था रखने वालों ने व्रत के बाद दान और घर में हवन आदि की प्रक्रिया पूरी की। बहुत से व्रतियों ने नमक का सेवन नहीं किया। गंगा स्नान करने से व्यक्ति को तेज बल,आयु की वृद्धि और आरोग्य गुण मिलते हैं।