नई दिल्ली । विदेश सचिव एस जयशंकर को एक साल का कार्यकाल विस्तार देने के लिए केंद्र ने 95 साल पुराने नियम में एक बड़ा बदलाव किया है।
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में नियुक्ति संबंधी मंत्रिमंडलीय समिति ने सोमवार को विदेश सचिव का कार्यकाल एक साल यानी अगले साल 28 जनवरी तक के लिए बढ़ा दिया। उनका दो साल का कार्यकाल रविवार को ही समाप्त हुआ था। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कार्मिक मंत्रालय ने कार्यकाल का मार्ग प्रशस्त करने के लिए मूलभूत नियमावली, 1922 के एक प्रावधान में संशोधन किया। फिलहाल सेवा नियमावली सीबीआई निदेशक के अलावा विदेश, रक्षा और गृह सचिवों को दो साल का निर्धारित कार्यकाल प्रदान करती है।
यह शामिल करने के लिए नियमावली संशोधित की गयी है कि केंद्र सरकार, यदि जरूरी समझती हो, तो जनहित में विदेश सचिव के दो साल के कार्यकाल को और एक साल के लिए बढ़ा सकती है। वर्ष 1977 बैच के आईएफएस अधिकारी जयशंकर को 29 जनवरी, 2015 को सुजाता सिंह के सेवानिवृति से महज कुछ दिन पहले विदेश सचिव नियुक्त किया गया था। विदेश सचिव के तौर पर सुजाता सिंह का कार्यकाल अकस्मात छोटा कर दिया गया था। जयशंकर को कार्यकाल विस्तार मिलने से इटली में भारत के राजदूत अनिल वाधवा (1979 बैच), सचिव (पश्चिम) सुजाता मेहता समेत कई वरिष्ठ नौकरशाह बिना शीर्ष पद हासिल किए सेवानिवृत हो जाएंगे।
भारतीय विदेश सेवा के 1977 बैच के जयशंकर को 29 जनवरी 2015 को विदेश सचिव नियुक्त किया गया था। एस जयशंकर ने सुजाता सिंह की जगह पर विदेश सचिव का पद संभाला था। जयशंकर की सेवा में एक साल का विस्तार मिलने की वजह से कई सीनियर डिप्लोमेट इस पद पर नियुक्त हुए बिना ही रिटायर हो जाएंगे। इस लिस्ट में इटली में भारत के राजदूत अनिल वधवा और सेक्रेट्री(वेस्ट) सुजाता मेहता भी शामिल हैं। चीन में भारत के राजदूत विजय गोखले जयशंकर की जगह ले सकते हैं। गोखले जनवरी 2019 में रिटायर होंगे।