नोटबंदी के बाद बाजार से 86 फीसदी मूल्य के 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट अमान्य हो गए थे, जिसके बाद नकदी की भारी किल्लत हो गई थी। अब 2000 और 500 रुपये की आपूर्ति तो पर्याप्त मात्रा में हो रही हैं,लेकिन इनके छुट्टे नहीं मिल रहे हैं।
सरकार ने बाजार से वापस लिए गए नोटों से उत्पन्न खाई को पाटने के लिए सरकार ने 2000 रुपये के नोट जारी किए हैं। लेकिन लोगों को अब भी इनसे खरीददारी करने में समस्या आ रही है, क्योंकि इनको बदलने के लिए पर्याप्त मात्रा में छोटे नोट नहीं है। उदाहरण के लिए किसी दुकानदार को 650 रुपये देने के लिए दो हजार रुपये के नोट देने पर उसके पास वापस करने के लिए छुट्टे नहीं होते।
सरकार भी इस किल्लत को स्वीकार कर रही है। सरकार के प्रमुख आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रह्मण्यन भी कम मूल्य के नोटों की आपूर्ति बढ़ाने पर जोर दिया है। सूत्रों की मानें तो सरकार ने पुनर्मुद्रीकरण की योजना के तहत 100, 500 और यहां तक की 50 रुपये के मूल्यों के नोटों की अतिरिक्त आपूर्ति की है। अब कम कीमत के नोटों के जारी करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने कहा, अब लोग 2000 रुपये मूल्य के नोट के प्रति सहज हो रहे हैं। इसलिए फिलहाल 1000 रुपये मूल्य के नोट जारी करने की योजना नहीं है। उन्होंने कहा, 50 और 100 रुपये के नए डिजाइन के नोट जारी होंगे। लेकिन इससे एटीएम परिचालन प्रभावित नहीं होगा, जैसा कि 500 और 2000 रुपये के नए नोट की वजह से हुआ था। नए नोट पुराने आकार में ही उपलब्ध होंगे।
सूत्रों की मानें तो नोटों को लेकर जो थोड़ी बहुत किल्लत आ रही है, वह भी कुछ दिनों में खत्म हो जाएगी। इसके मद्देनजर आरबीआई पैसे निकालने की सीमा खत्म कर सकती है। उन्होंने बताया, अब एटीएम को 12 हजार करोड़ रुपये रोजाना की आपूर्ति की जा रही है। नोटबंदी से पहले 13 हजार करोड़ रुपये की आपूर्ति होती थी।