नई दिल्ली। बिहार में बहार हो नीतीश कुमार हो ये नारा था 2015 में बिहार विधान सभा चुनाव का जहां पर सारा विपक्ष एक साथ एक छत के नहीं महागठबंधन की छांव में आकर खड़ा हुआ था। इसके पहले 2014 लोकसभा चुनाव के पहले जब भाजपा ने अपने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेन्द्र मोदी की उम्मीदवारी तय की थी तो दशकों पुरानी दोस्ती तोड़ कर जेडीयू और नीतीश ने विपक्ष के साथ दोस्ती गांठ कर अपनी सरकार बचा ली थी। इसके बाद चुनाव के पहले महागठबंधन बना कर विधान सभा चुनाव में भाजपा को मात दी थी। लेकिन लालू के राजनीति दखल के बाद से कई बार नीतीश और लालू के रिश्ते तल्ख होते रहे हैं।
रामनाथ कोविंद का समर्थन करेगें नीतीश कुमार, गठबंधन में पड़ सकता है दरार
अब बीजेपी ने जब से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को चुना है तब से सभी पार्टीयों में मंथन शुरु हो गया है। नीतीश कुमार ने बीजेपी का समर्थन करने की घोषणा आज कर दी है । इसके पहले मुलायम सिंह यादव नें भी समर्थन करने के लिए कह चुके है। मुलायम सिंह यादव ने तो यहां तक कह दिया कि विपक्षी पार्टीयां पता नही क्यों इनका समर्थन नहीं कर रहें है। लेकिन नीतीश कुमार ने रामनाथ कोविंद से मिलकर सबसे पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए बधाई दी थी। नीतीशकुमार ने आज पटना मे जेडीयू के सभी विधायको के साथ बैठक किए जिसमें इस बात पर चर्चा हुआ कि रामनाथ कोंविद को समर्थन किया जाय या नही , हालांकि नीतीश कुमार ने चर्चा में कहा कि रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल के साथ-साथ एक दलित परिवार से भी आते है जिसके वजह से हम उनका विरोध नही कर सकते। जिसके बाद JDU के सभी विधायको ने भी उसका समर्थन करने का फैसला किया है। जिसके बाद जेडयू विधायक रत्नेश यह घोषणा की हालांकि इस फैसले के बाद लालू और नीतीश के महागठबंधन में दरार भी आ सकता है क्योंकि लालू और सोनिया के सुर अभी भी एक जैसे है।
बिहार में टूट सकता है महागठबंधन
आपको बता दें कि लालू यादव हमेशा ही सोनिया गांधी का खुलकर समर्थन करते हैं लालू यादव ने हमेशा ही भाजपा के नीतियों का विरोध किया है लेकिन इससे उलट नीतीश कुमार ने हमेशा ही बीजेपी के नीतियों का समर्थन किया है। नोटबंदी के द्वौरान विपक्ष के अकेले एसे नेता थे जिन्होंने नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा था कि नोटबंदी का फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सही कदम है। हांलाकि इस फैसले से दोनो के गठबंधन में खटास तो जरुर आयेगी थी। इधर नीतीश कुमार ने भाजपा के प्रत्याशी को समर्थन देने की बात कही है तो वहीं लालू के बच्चों की प्रापर्टी को आयकर विभाग नें छापा मारा था । जिसमें कोर्ट ने इनकी संपत्ती को जब्त करने का फैसला लिया है । जिसे लालू ने भाजपा की चाल बताई है।
सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी समर्थन का किया है एलान
मुलायम सिंह यादव ने भी रामनाथ कोविंद को समर्थन करने का संकेत दिया है मुलायम सिंह यादव ने कहा कि रामनाथ कोविंद एक अच्छे इन्सान है जिनको सभी पार्टीयों को सहयोग करना चाहिए किन्तु विपक्ष पता नही क्यों इसका विरोध कर रहें है। वैसे बीजेपी के पास पूरा बहुमत है अगर कुछ कम भी पड़ता है तो उसे वे मैनेज कर लेंगे। अब बिहार की बहार नीतीश कुमार और लालू की बेमेल खचड़ी का भविष्य अधर में अटक सकता है। लेकिन मुलायम के भाजपा के सुर में सुर मिलाने के साथ ही अखिलेश और मुलायम के बीच की दीवार और बड़ी हो जायेगी।
मुलायम का राजनीतिक कैरियर उनके ही बेटे ने ब्रेक कर दिया है। अब मुलायम भाजपा के सहारे विपक्ष और अखिलेश को ये बताना चाह रहे हैं कि उनके बिना कुछ भी संभव नहीं कल भी किंग मेकर मुलायम थे आज भी मुलायम ही हैं। इसके साथ ही लालू की खराब हो रही छवि को लेकर नीतीश की चिंता बढ़ती जा रही थी। नीतीश भी लालू के साथ विपक्ष को जताना चाह रहे थे कि उनको लेकर एनडीए के रास्ते अभी खुले हैं। नीतीश आने वाले दिनों में बिहार की कुर्सी को दुबारा दे सकते हैं। दिल्ली। बिहार में बहार हो नीतीश कुमार हो ये नारा था 2015 में बिहार विधान सभा चुनाव का जहां पर सारा विपक्ष एक साथ एक छत के नहीं महागठबंधन की छांव में आकर खड़ा हुआ था। इसके पहले 2014 लोकसभा चुनाव के पहले जब भाजपा ने अपने प्रधानमंत्री पद के लिए नरेन्द्र मोदी की उम्मीदवारी तय की थी तो दशकों पुरानी दोस्ती तोड़ कर जेडीयू और नीतीश ने विपक्ष के साथ दोस्ती गांठ कर अपनी सरकार बचा ली थी। इसके बाद चुनाव के पहले महागठबंधन बना कर विधान सभा चुनाव में भाजपा को मात दी थी। लेकिन लालू के राजनीति दखल के बाद से कई बार नीतीश और लालू के रिश्ते तल्ख होते रहे हैं।
रामनाथ कोविंद का समर्थन करेगें नीतीश कुमार, गठबंधन में पड़ सकता है दरार
अब बीजेपी ने जब से राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को चुना है तब से सभी पार्टीयों में मंथन शुरु हो गया है। नीतीश कुमार ने बीजेपी का समर्थन करने की घोषणा आज कर दी है । इसके पहले मुलायम सिंह यादव नें भी समर्थन करने के लिए कह चुके है। मुलायम सिंह यादव ने तो यहां तक कह दिया कि विपक्षी पार्टीयां पता नही क्यों इनका समर्थन नहीं कर रहें है। लेकिन नीतीश कुमार ने रामनाथ कोविंद से मिलकर सबसे पहले राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए बधाई दी थी। नीतीशकुमार ने आज पटना मे जेडीयू के सभी विधायको के साथ बैठक किए जिसमें इस बात पर चर्चा हुआ कि रामनाथ कोंविद को समर्थन किया जाय या नही , हालांकि नीतीश कुमार ने चर्चा में कहा कि रामनाथ कोविंद बिहार के राज्यपाल के साथ-साथ एक दलित परिवार से भी आते है जिसके वजह से हम उनका विरोध नही कर सकते। जिसके बाद JDU के सभी विधायको ने भी उसका समर्थन करने का फैसला किया है। जिसके बाद जेडयू विधायक रत्नेश यह घोषणा की हालांकि इस फैसले के बाद लालू और नीतीश के महागठबंधन में दरार भी आ सकता है क्योंकि लालू और सोनिया के सुर अभी भी एक जैसे है।
बिहार में टूट सकता है महागठबंधन
आपको बता दें कि लालू यादव हमेशा ही सोनिया गांधी का खुलकर समर्थन करते हैं लालू यादव ने हमेशा ही भाजपा के नीतियों का विरोध किया है लेकिन इससे उलट नीतीश कुमार ने हमेशा ही बीजेपी के नीतियों का समर्थन किया है। नोटबंदी के द्वौरान विपक्ष के अकेले एसे नेता थे जिन्होंने नरेंद्र मोदी की तारीफ करते हुए कहा था कि नोटबंदी का फैसला भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सही कदम है। हांलाकि इस फैसले से दोनो के गठबंधन में खटास तो जरुर आयेगी थी। इधर नीतीश कुमार ने भाजपा के प्रत्याशी को समर्थन देने की बात कही है तो वहीं लालू के बच्चों की प्रापर्टी को आयकर विभाग नें छापा मारा था । जिसमें कोर्ट ने इनकी संपत्ती को जब्त करने का फैसला लिया है । जिसे लालू ने भाजपा की चाल बताई है।
सपा के मुखिया मुलायम सिंह यादव ने भी समर्थन का किया है एलान
मुलायम सिंह यादव ने भी रामनाथ कोविंद को समर्थन करने का संकेत दिया है मुलायम सिंह यादव ने कहा कि रामनाथ कोविंद एक अच्छे इन्सान है जिनको सभी पार्टीयों को सहयोग करना चाहिए किन्तु विपक्ष पता नही क्यों इसका विरोध कर रहें है। वैसे बीजेपी के पास पूरा बहुमत है अगर कुछ कम भी पड़ता है तो उसे वे मैनेज कर लेंगे। अब बिहार की बहार नीतीश कुमार और लालू की बेमेल खचड़ी का भविष्य अधर में अटक सकता है। लेकिन मुलायम के भाजपा के सुर में सुर मिलाने के साथ ही अखिलेश और मुलायम के बीच की दीवार और बड़ी हो जायेगी।
मुलायम का राजनीतिक कैरियर उनके ही बेटे ने ब्रेक कर दिया है। अब मुलायम भाजपा के सहारे विपक्ष और अखिलेश को ये बताना चाह रहे हैं कि उनके बिना कुछ भी संभव नहीं कल भी किंग मेकर मुलायम थे आज भी मुलायम ही हैं। इसके साथ ही लालू की खराब हो रही छवि को लेकर नीतीश की चिंता बढ़ती जा रही थी। नीतीश भी लालू के साथ विपक्ष को जताना चाह रहे थे कि उनको लेकर एनडीए के रास्ते अभी खुले हैं। नीतीश आने वाले दिनों में बिहार की कुर्सी को दुबारा दे सकते हैं।