लखनऊ, दीपक ठाकुर। कल ये साबित हो गया कि जो काम पुरुष नही कर पाता वो महिलाएं कर जाती है वो भी आसानी के साथ।आपको याद होगा हमारे जांबाज़ भारतीय क्रिकेट टीम के कागज़ी शेर किस तरह पाकिस्तान के साथ चैंपियन्स ट्राफी के फाइनल में नतमस्तक हो कर देश की नाक कटा कर छाती चौड़ी करते हुए वेस्टइंडीज के लिए रवाना हो गए थे वो भी बिना इस बात की परवाह किये हुए के भारतीयों के दिल को कितनी ठेस पहुंचाई है पाकिस्तान से हार के बाद वो भी खुद के कारण से हुई हार जो ना काबिले गुस्ताखी समझी जा रही है पर क्रिकेट प्रेमी उनका कुछ कर भी तो नही सकते।
खैर उनकी बात इस मौके पर कर के मूड की ऐसी तैसी करने से अच्छा है हम भारत की शेरनियों की बात करें जिन्होंने वुमेन्स चैंपियन्स ट्राफी में पाकिस्तान को हरा कर भारतियों को खुशी का एक मौका तो दिया ही साथ ही पुरुष वर्ग की टीम को सबक भी दिया है।
पाकिस्तान के साथ जब पुरुष क्रिकेट टीम खिताबी जंग में उतरी थी तो विराट ने अपनी गलतियों से मैच गंवाने की शुरआत टॉस के बाद से ही कर दी थी ठीक इसके उलट भारतीय महिला टीम की कप्तान मिताली राज ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी की और पाकिस्तान को लगभग 90 से अधिक के अंतर से मात दे दी कहा जाए तो पूरे मैच में पाकिस्तान की टीम किसी मौके पर भारत से ऊपर नही दिखाई पड़ी।
इस जीत में अहम भूमिका मिताली राज की रही भले वो बल्ले से खास जौहर ना दिखा पाई फिर भी मैदान पर बेहतरीन कप्तानी और जीत के जज़्बे के साथ अपने लिए गए निर्णय से पाकिस्तान के परखच्चे उड़ा दिए और भारत को दिवाली मनाने का मौका दे दिया।
विराट कोहली को मिताली राज से सीख लेनी चाहिए कि कैसे देश के लिए खेलना चाहिए और जो ज़िम्मेवारी मिली है उसे कैसे निभाना चाहिए सिर्फ कॉलर ऊपर करने से ही मैच नही जीते जाते मैच जीतने के लिए दिमाग भी लगाना पड़ता है।