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Friday, December 27, 2024

बीजेपी में शौक की लहर , नहीं रहे वरिष्ट नेता और पूर्व सांसद.

 

उत्तर प्रदेश के सीतापुर से पूर्व सांसद शारदानंद दीक्षित का लम्बी बीमारी के बाद 98 वर्ष की आयु में निधन हो गया. शारदानंद दीक्षित जनसंघ के दौर में सासंद रहे. इनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव बम्हौरा में होगा. परिवारों, गांव के लोगों के बीच, और जिले भर के राजनीतिक कर्य्कर्राव के बीच इनको “काका” के नाम से संबोधन करते थे.

1962 में भारतीय जनसंघ प्रत्याशी के रूप में भारी बहुमत से पहली बार विधायक चुने गये थे.

उन्होंने सीतापुर जिले के हरगांव विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया.उसके बाद लोकसभा चुनाव हुए तो पं.दीनदयाल उपाध्याय ने उन्हें अचानक नामांकन पत्र प्रस्तुत कर चुनाव लडने का आदेश दिया जिसमे उनकी जीत भारी मतों से हुई.लोकसभा में भी उन्होंने सीतापुर का नेतृत्व भी किया. अपने ध्येय निष्ठ, समर्पित व अपनी ईमानदारी के लिए कार्यकर्ताओं के प्रेरणा स्रोत श्री दीक्षित को अपनी संसदीय पारी में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपायी, लालकृष्ण आडवाणी व प्रो. बलराज मधोक के निकट सहयोगी के रुप में काम करने का अवसर मिला.

वृद्धावस्था के बावजूद कुछ साल पहले तक वह एक आदर्श कार्यकर्ता के रूप में पार्टी गतिविधियाँ में सक्रिय रहे. जनसंघ के बाद वह भारतीय जनता पार्टी के भी संस्थापक रहे. 1977 में वह सीतापुर जिला पंचायत के नामित सदस्य रहे. भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में भी उन्होंने पार्टी को अपनी सेवाएं दी.

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