दीपकठकुर, न्यूज़ वन इंडिया। भारत मे भाजपा का परचम लहराने के बाद जिस तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काला धन और भ्र्ष्टाचार रोकने के लिये जो मुहिम चलाई थी उससे ये आवाज़े उठने लगी थी कि भारत की अर्थ व्यवस्था चौपट हो गई है क्योंकि नोटबन्दी के फौरन बाद जीएसटी का लगाया जाना आग में घी का काम कर रहा था व्यापार मंद पड़ने लगा था और विकास भी अपनी जगह तलाशने को मजबूर दिखाई दे रहा था।हालांकि सरकार इस बात से ज़रा भी इत्तेफाक रखते नज़र नही आ रही थी उसका मानना था कि सब कुछ ठीक है चिल्लम चिल्ली वही कर रहा है जो भ्र्ष्टाचार में शामिल है और दूसरी बात वो ये के विपक्ष को हमारी उपलब्धि रास नही आ रही है।
इसी मामले में एक यू टर्न तब आया जब भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता यशवंत सिन्हा ने भी इस बात की पुष्टि कर दी कि वाकई इस समय भारत की अर्थ व्यवस्था बिल्कुक चौपट है जिसके लिए सरकार की नीतियां ही जिम्मेदार हैं एक तरह से देखा जाए तो ये बात सरकार के साथ साथ पार्टी के लिए भी विरोधाभासी थे क्योंकि जहां सरकार और पार्टी का हर नेता इसको उपलब्धि बता रहा था वही पर्टी के भीतर से ही ऐसी आवाज़ वाकई सोचने वाली थी कि कुछ तो गड़बड़ हुई है जल्दबाज़ी में।इसीबात को लेकर हमारे पीएम नरेंद्र मोदी भी काफी चिंतित दिखाई दिए क्योंकि पार्टी से विरोधी स्वर और कई जगहों पर चुनावी समर सबको मैनेज करना उनके लिए बड़ी चुनौती बन गया था उसके बाद जो हुआ वो एक बार फिर ये बात साबित करने के लिए काफी है कि पीएम महोदय को देश की जनता का मूड पढ़ना काफी अच्छी तरीके से आता है अब जो जीएसटी में बदलाव हुए है वो ये हैं।
3 महीने में एक बार भरनी होगी रिटर्न,आयुर्वेदिक दवाओं पर 5 प्रतिशत,कपड़ो पर टैक्स दर 5 प्रतिशत,रेस्टॉरेन्ट पर दर 12 प्रतिशत
60 आइटम पर टैक्स 12 से घटकर 5 प्रतिशत शुक्रवार को दिल्ली में अरुण जेटली की अध्यक्षता में हो रही 22वीं जीएसटी काउंसिल की बैठक में कारोबारियों को अब 3 महीने में एक बार रिटर्न फाइल करना होगा। सरकार ने अपने फैसले हर महीने रिटर्न फाइल करने को वापिस ले लिया है लेकिन ये उन कारोबारियों के लिए है जिनका सालाना टर्न-ओवर 1.5 करोड़ रुपए से नीचे है। 1.5 करोड़ रुपए से ऊपर वाले कारोबारियों को हर महीने रिटर्न फाइल करनी होगी। साथ ही काउंसिल ने ये भी साफ किया कि टैक्स कारोबारियों को हर महीने ही चुकाना होगा।इसके साथ ही काउंसिल ने कम्पोजिशन लीमिट को 75 लाख रुपए से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए कर दिया है।
उम्मीद यही की जानी चाहिए कि जैसा बदलाव व्यापारी हित के लिए किया गया है खास तौर पर आभूषण व्यापारी पर ऐसा ही बदलाव जनता को भी राहत देने वाला जल्द दिखाई देगा जो देश और भाजपा के लिए अच्छा रहेगा।