इलाहाबाद नगर निकाय चुनाव में वोटरों को लुभाने के लिए जब प्रत्याशियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। तो चुनाव में ऐसे भी प्रत्याशी रहे जो दुनिया में ही नही रहे और उन्हें वोट मिला ।ऐसे में इसे प्रशासन की ओर से चूक माने या कुछ और नामाकन के बाद जब नेता घर घर वोट मांग रहे थे। तब एक ऐसा भी प्रत्याशी रह जो शांत होकर चला गया। इसकी मौत के बाद भी सुर्खियों में है यह मेयर प्रत्याशी, मिले इतने वोट कि सभी हैरानजानकारी प्रशासन को भी हुई लेकिन किसी राजनितिक दल से ना होने का कारण चुनाव में कोई व्यवधान नही हुआ। जहाँ एक ओर भाजपा के मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक प्रत्याशी को जिताने में लगे थे। तो वही समाजवादी पार्टी बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का जमावड़ा था इन सबके बीच निर्दलीय प्रत्याशीयो ने भी अपनी पूरी ताकत लगायी थी।इन सब के बीच एक ऐसे भी मेयर प्रत्याशी रहे जो दुनिया छोड़ कर चले गए।लेकिन उनकी मौत के बाद भी उनके समर्थकों ने उन्हें वोट किया ।
मेयर प्रत्याशी सरवर हुसैन ने नगर निकाय चुनाव में नामांकन किया और चुनाव चिन्ह मिलने के दो दिन बाद ही उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन उनके चुनाव चिन्ह जारी हो गया था ।उनका चुनाव चिन्ह था लड़का और लड़की इसलिए बैलेट पेपर चस्पा कर दिया गया था।इसलिए उनका नाम हटाया नहीं गया साथ ही वो किसी राजनीतिक दल से नहीं थे। तो इसलिए चुनाव में फेरबदल नहीं करना पड़ा। लेकिन ऐसे में सरवर हुसैन को जिन लोगों ने वोट डाला उसको लेकर लोगों के बीच चर्चा है। सरवर हुसैन को कुल 556 वोट मिले।बड़ी बात यह रही की मौत के बाद भी जिन्दा प्रत्याशी से ज्यादा वोट उन्हें मिले।
सरवर हुसैन पुराने शहर के रहने वाले थे। और मतदान के बाद परिणाम आने तक बहुत कम लोगों तक यह जानकारी पंहुची की,सरवर हुसैन नहीं रहे।उनकी मौत के बाद परिजनों ने भी मीडिया को कोई जानकारी नही दी।लेकिन मौत के बाद भी 556 उनके समर्थकों ने यह कहा कि उनको चाहने वालों ने उन्हें अपना वोट दिया। जहां जिंदा कौमें लगातार सड़क पर शोर शराबा करती रही वही कब्र में लेटे हुए सरवर को भी जनता ने वोट दीया।मौत के बाद भी सरवर हुसैन निर्दलीय प्रत्याशी आशा केसरवानी से ज्यादा वोट पर आशा केसरवानी 538 और सरवर को 556 वोट मिले।चुनाव लड़ने वाले जीवित प्रत्याशियों से ज्यादा वोट मौत के प्रत्याशी को मिला।