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Thursday, November 21, 2024

दिल्ली सेवा बिल पर चर्चा के दौरान राघव चड्ढा ने मोदी सरकार को घेरा- ये बिल लाकर बीजेपी, वाजपेयी और आडवाणी का अपमान कर रही है

एजेंसी | लोकसभा से पास होने के बाद दिल्ली सेवा बिल सोमवार को राज्यसभा में पेश हुआ. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिल को सदन में रखा. बिल पर चर्चा हो रही है. सभी सांसद बिल पर अपना-अपना पक्ष रख रहे हैं. इस दौरान आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने अपनी पार्टी की बात रखी. उन्होंने बिल का विरोध करते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा और कहा कि इस बिल से केंद्र सरकार पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और पूर्व उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के संघर्षों को मिट्टी में मिलाने के काम कर रही है.

आप सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि सभापति को संबोधित करते हुए कहा कि हम न्याय मांगने के लिए आपके सामने आए हैं. जो हमारा हक है हम वो मांगने आए हैं. राघव चड्ढा ने कहा कि ये बिल राजनीतिक धोखा है. 1989 से लेकर 2015 तक बीजेपी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करती आई. 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने कहा था कि वो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएगी. इतने साल होते-होते मैं बीजेपी का 1989 का मेनिफेस्टो लाया हूं. यानि 1989 से लेकर बीजेपी दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करती रही है.

उन्होंने कहा कि 1991 में मुदन लाल खुराना, लाल कृष्ण आडवाणी ने बयान दर्ज कराए थे कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलना चाहिए. इसके लिए हम आंदोलन भी करेंगे. लगातार इन लोगों ने संघर्ष किया और आंदोलन किया. आप सांसद ने कहा कि 1998-99 में बीजेपी ने फिर से अपने मेनिफेस्टो में कहा कि वो दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाएगी. इन लोगों ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए लंबा संघर्ष किया. और अंत में वो दिन आया जब वाजपेयी सरकार के उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सदन में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने वाला बिल लाए. इस बिल को लाते हुए आडवाणी जी ने कहा था कि दिल्ली को अधिकार देने की जरूरत है.

राघव चड्ढा ने अपने संबोधन में आगे कहा कि 2013 में भी बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की बात कही. बीजेपी लगातार दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने की मांग करती रही है. दिल्ली सेवा बिल सिर्फ संविधान और लोकतंत्र का अपमान नहीं है. ये अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मदनलाल कुराना और सुषमा स्वराज का अपमान है. ये बिल उनके 40 साल के संघर्ष को मिट्टी में मिलाने का काम करता है.

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