नई दिल्ली- एजेंसी। आज देश की पहली महिला शिक्षक और सामाजिक क्रांति की पुरोधा सावित्रीबाई ज्योतिराव फुले का जन्मदिन है। Google भी अपने डूडल के जरिए आज सावित्रीबाई फुले को याद कर रहा है। सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले के नायगांव नामक छोटे से गांव में हुआ था। सावित्रीबाई को देश के वंचित तबकों और खासकर महिलाओं की शिक्षा के लिए आवाज़ उठाने के लिए याद किया जाता है। सावित्री एक बेहद ही मजबूत महिला थीं और आज से करीब 100 साल पहले उन्होंने समाज से लड़कर लड़कियों के लिए 18 महिला स्कूल खोल दिए थे।
जानिए सावित्रीबाई से जुड़ी बातें
-सावित्रीबाई फुले का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था और सिर्फ 9 साल की उम्र में ही साल 1840 में इनकी शादी 13 साल के ज्योतिराव फुले से कर दी गई। जब ज्योतिबा फुले ने उनसे शादी की तो ऊंची जाति के लोगों ने विवाह संस्कार के समय उनका अपमान किया तब ज्योतिबा फुले ने दलित वर्ग को गरिमा दिलाने का प्रण लिया।
-सावित्री जब छोटी थी तब एक बार अंग्रेजी की एक किताब के पन्ने पलट रही थी, तभी उनके पिताजी ने यह देख लिया और तुरंत किताब को छीनकर खिड़की से बाहर फेंक दिया, क्योंकि उस समय शिक्षा का हक केवल उच्च जाति के पुरुषों को ही था, दलित और महिलाओं को शिक्षा ग्रहण करना पाप था।
-शादी के बाद ज्योतिबा को खाना देने जब सावित्रीबाई खेत में आती थीं, उस दौरान ज्योतिबा, सावित्रीबाई को पढ़ाते थे। लेकिन इसकी भनक ज्योतिबा के पिता को लग गई और उन्होंने रूढ़िवादिता और समाज के डर से उन्हें घर से निकाल दिया। फिर भी ज्योतिबा ने सावित्रीबाई को पढ़ाना जारी रखा और उनका दाखिला एक प्रशिक्षण विद्यालय में कराया।
-समाज द्वारा इसका बहुत विरोध होने के बावजूद सावित्रीबाई ने अपना अध्ययन पूरा किया। पढ़ाई पूरी होने के बाद सावित्री बाई ने सोचा कि शिक्षा का उपयोग अन्य महिलाओं को शिक्षित करने में किया जाना चाहिए। उन्होंने ज्योतिबा के साथ मिलकर 1848 में पुणे में बालिका विद्यालय की स्थापना की। जिसमें 9 लड़कियों ने दाखिला लिया।
-सावित्रीबाई फुले देश की पहली महिला अध्यापक-नारी मुक्ति आंदोलन की पहली नेता थीं। सावित्रीबाई फुले ने अपने पति क्रांतिकारी नेता ज्योतिराव फुले के साथ मिलकर लड़कियों के लिए 18 स्कूल खोले। 1 जनवरी 1848 से लेकर 15 मार्च 1852 के दौरान सावित्रीबाई फुले और ज्योतिबा फुले ने बिना किसी आर्थिक मदद और सहारे के लड़कियों के लिए 18 विद्यालय खोले। उस दौर में ऐसा सामाजिक क्रांतिकारी की पहल पहले किसी ने नहीं की थी।
-सावित्रीबाई ने ही देश में पहली बार बलात्कार की पीड़ित स्त्रियों की सिद्ध ली और 28 जनवरी 1853 को गर्भवती बलात्कार पीडि़तों के लिए बाल हत्या प्रतिबंधक गृह की स्थापना की।
-सावित्रीबाई ने उन्नीसवीं सदी में भारत में प्रचलित ऐसी कुप्रथाओं का जमकर विरोध किया जो महिलाओं के विरूद्ध थी। उन्होंने सतीप्रथा, बाल-विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियां के खिलाफ लड़ाई लड़ी।
-सावित्रीबाई फुले ने आत्महत्या करने जाती हुई एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई की अपने घर में डिलवरी करवा उसके बच्चे यशंवत को अपने दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया। दत्तक पुत्र यशवंत राव को पाल-पोसकर इन्होंने डॉक्टर बनाया।
-महात्मा ज्योतिबा फुले की मृत्यु सन् 1890 में हुई। तब सावित्रीबाई ने उनके अधूरे कार्यों को पूरा करने के लिये संकल्प लिया। बता दें कि ज्योतिबा मानते थे कि दलितों और महिलाओं की आत्मनिर्भरता, शोषण से मुक्ति और विकास के लिए सबसे जरूरी है शिक्षा और इसकी शुरुआत उन्होंने सावित्रीबाई फुले की शिक्षा से ही थी।
-सावित्रीबाई ने अपना पूरा जीवन दूसरों की सेवा करने में गुज़ार दिया और 10 मार्च 1897 को प्लेग के मरीजों की देखभाल करने के दौरान उनकी मृत्यु हो गई।