नई दिल्ली। देशभर में 14 सितंबर यानि आज हिंदी दिवस मनाया जा रहा है। 14 सितंबर, 1949 के दिन ही हिंदी को राजभाषा का दर्जा मिला था। जिसके बाद से अब तक हर साल यह दिन हिंदी दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
विदेशों में मातृ भाषा में व्यावसायिक शिक्षा की पढ़ाई से प्रेरित होकर भारत में भी हिंदी माध्य से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की शुरुआत की गई। लेकिन यह प्रयास सफल नहीं हुआ। भोपाल स्थित अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय ने वर्ष 2016 में यह शुरुआत की। यह देश का पहला विश्वविद्यालय है जिसने केवल हिंदी में इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू की। लेकिन राष्ट्रवाद से प्रेरित यह पहल सफल नहीं हो सकी और कई परेशानियों के चलते कोर्स बंद करना पड़ा।
हिंदी एक साथ दो मोर्चो पर लड़ रही है। एक ओर शिक्षा का मोर्चा है तो दूसरी तरफ बाजार। भारत जैसे देश में जहां शिक्षा से निर्मित होने वाली अर्थव्यवस्था लगातार बढ़ रही है। वहीं बाजार की दृष्टि से भी भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर उभर रहा है। लेकिन बाजार जहां हिंदी और भारतीय भाषाओं में विस्तार पा रहा है। वहीं शिक्षा में भारतीय भाषाएं सिकुड़ती जा रही हैं। यह कमजोरी पहले केवल उच्च शिक्षा के संस्थानों में थी,
देश में अंग्रेजी भाषा बोलने वालों की संख्या भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किसी भी भाषा से कम है। बावजूद इसके वह अब भी पूरे भारत के राजकाज की भाषा बनी हुई है। इसी कारण यह एक वर्चस्वशाली भाषा है। अंग्रेजों की नीतियों के कारण भारतीय भाषाओं के बीच की समरसता और बहुभाषिकता की स्वीकृति के प्रति संदेह पैदा हुआ, जबकि भारत में भाषा संस्कृति के निर्माण, मनुष्य के बलिदान और स्वाभिमान तथा जीवन का साधन रही है। भारत में भाषा का लोकोत्तर चरित्र है। उसका परंपरागत इतिहास है।
हिमालय से लेकर कन्याकुमारी तक संपूर्ण राष्ट्र एकता के सूत्र में बंधता है। इसकी विविधताओं को स्वीकार करके राष्ट्रीय एकता सिद्ध होती है। हालांकि संसद की चर्चा का अधिकांश हिस्सा हिंदी एवं भारतीय भाषाओं में हुआ है। अभी भी कार्यपालिका में इनका प्रयोग सापेक्षिक रूप से कम है। न्यायपालिका में तो हिंदी एवं भारतीय भाषाएं प्रवेश पाने के लिए संघर्ष कर रही हैं। उच्च शिक्षा का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं है। इस देश के भाषायी कुलीन श्रेष्ठ शिक्षकों एवं शोधवेत्ताओं ने पूरे प्रयास से हिंदी एवं भारतीय भाषाओं को उच्च शिक्षा एवं शोध की भाषा बनने से रोका है। तर्क यह है कि हमारी भाषा में सामग्री नहीं है। इस नाते हम अंग्रेजी में पढ़ने के लिए बाध्य हैं।
2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय अपनी मातृभाषा के रूप में हिंदी का उपयोग करते हैं, जबकि लगभग 42.20 करोड़ लोग इसकी 50 से अधिक बोलियों में से एक का उपयोग करते हैं। हिंदी की प्रमुख बोलियों में अवधी, भोजपुरी, ब्रजभाषा, छत्तीसगढ़ी, गढ़वाली, हरियाणवी, कुमाऊंनी, मगधी और मारवाड़ी भाषाएं शामिल हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को हिंदी दिवस की शुभकामनाएं दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा कि आप सभी को हिन्दी दिवस की ढेरों बधाई। हिन्दी को एक सक्षम और समर्थ भाषा बनाने में अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। यह आप सबके प्रयासों का ही परिणाम है कि वैश्विक मंच पर हिन्दी लगातार अपनी मजबूत पहचान बना रही है।
आप सभी को हिन्दी दिवस की ढेरों बधाई। हिन्दी को एक सक्षम और समर्थ भाषा बनाने में अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने उल्लेखनीय भूमिका निभाई है। यह आप सबके प्रयासों का ही परिणाम है कि वैश्विक मंच पर हिन्दी लगातार अपनी मजबूत पहचान बना रही है।
— Narendra Modi (@narendramodi) September 14, 2021