नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को अमेरिका से लौटने के बाद अपने रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ के 81वें संस्करण को संबोधित किया। पीएम ने इस दौरान नदियों की साफ-सफाई, डिजिटल पेमेंट और जनधन खाते का जिक्र किया। उन्होंने विश्व नदी दिवस पर भी चर्चा की और नदियों की साफ-सफाई को लेकर बात की।
मन की बात कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि हमारे आज के नौजवान को ये जरूर जानना चाहिए कि साफ-सफाई के अभियान ने कैसे आजादी के आंदोलन को निरंतर ऊर्जा दी थी। ये महात्मा गांधी ही तो थे, जिन्होंने स्वच्छता को जन-आंदोलन बनाने का काम किया था। महात्मा गांधी ने स्वच्छता को स्वाधीनता के सपने के साथ जोड़ दिया था।
प्रधानमंत्री ने इस दौरान डिजिटल पेमेंट का जिक्र करते हुए कहा कि डिजिटल पेमेंट से देश की अर्थव्यवस्था में स्वच्छता और पारदर्शिता आ रही है। उन्होंने बताया कि अगस्त महीने में यूपीआई से 355 करोड़ लेन देन हुए। वहीं आज औसतन 6 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का डिजिटल पेमेंट यूपीआई से हो रहा है।
पीएम ने छठ पूजा का भी जिक्र करते हुए कुछ दिनों में नदियों की सफाई शुरू करने की बात कहीं। उन्होंने इस बार नदियों की स्वच्छता पर अपना फोकस रखा। साथ ही विश्व नदी दिवस का जिक्र करते हुए कहा कि हम नदियों को मां कहते हैं और इनके लिए गीत गाते हैं तो यह सवाल उठता है कि ये नदियां प्रदूषित कैसे हो जाती हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे शास्त्रों में नदियों में जरा सा प्रदूषण करने को भी गलत बताया गया है। हम नदियों की सफाई और उन्हें प्रदूषण से मुक्त करने का प्रयास सबके प्रयास और सहयोग से कर सकते हैं। नमामि गंगे मिशन आज आगे बढ़ रहा है तो इसमें सभी लोगों के प्रयास, जगजागृति, जनआंदोलन की बड़ी भूमिका है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे लिए नदियां एक जीवंत इकाई है और तभी तो हम नदियों को मां कहते हैं। हमारे कितने ही पर्व हों, त्योहार हों, उत्सव हों ये सभी इन माताओं (नदियों) की गोद में भी होते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में स्नान करते समय एक श्लोक बोलने की परंपरा रही है। गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जले अस्मिन् सन्निधिं कुरु। पहले हमारे घरों में परिवार के बड़े ये श्लोक बच्चों को याद करवाते थे और इससे हमारे देश में नदियों को लेकर आस्था भी पैदा होती थी।