नई दिल्ली। ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2021 की वर्चुअल बैठक शुरू हो चुकी है। जिसमें पांच बड़े देश भारत, ब्राजील, रूस, चीन और दक्षिण अफ्रीका भाग ले रहे है। जिसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कर रहे हैं। यह तेरहवां वार्षिक ब्रिक्स शिखर सम्मेलन है।
पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में अध्यक्षता करना हमारे लिए खुशी की बात है। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले डेढ़ दशक में ब्रिक्स ने कई उपलब्धियां हासिल की है। जिसमें तकनीकी की मदद से हेल्थ एक्सेस बढ़ाने के लिए यह एक इनोवेटिव कदम है। नवंबर में हमारे जल संसाधन मंत्री ब्रिक्स फॉर्मेट में पहली बार मिलेंगे।
पीएम मोदी ने कहा कि यह भी पहली बार हुआ कि ब्रिक्स ने बहुपक्षीय प्रणाली की मजबूती और सुधार पर एक साझा पोजिशन ली। हमने ब्रिक्स काउंटर टेररिज्म एक्शन प्लान भी अडॉप्ट किया है।
उन्होंने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना है कि ब्रिक्स अगले 15 वर्षों में और परिणामदायी हो। भारत ने अपनी अध्यक्षता के लिए जो थीम चुना है, वह यही प्राथमिकता दर्शाता है। आज हम विश्व की उभरती अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक प्रभावकारी आवाज़ है। विकासशील देशों की प्राथमिकताओं पर ध्यान केन्द्रित करने के लिए भी यह मंच उपयोगी रहा है।
चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि पिछले 15 वर्षों में हमारे पांच देशों ने खुलेपन, समावेशिता और समानता की भावना में रणनीतिक संचार और राजनीतिक विश्वास बढ़ाया। राष्ट्रों के लिए एक-दूसरे के साथ बातचीत करने का ठोस तरीका खोजा। हमने व्यावहारिकता, नवाचार और समान सहयोग की भावना से सहयोग के विभिन्न क्षेत्रों में ठोस प्रगति की है। हमने बहुपक्षवाद का समर्थन किया है और समानता, न्याय और पारस्परिक सहायता की भावना से वैश्विक शासन में भाग लिया है।
वहीं रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना और उसके सहयोगियों की वापसी ने एक नया संकट पैदा कर दिया है। यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि यह वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा को कैसे प्रभावित करेगा।
दक्षिण अफ्रीकी के राष्ट्रपति रामाफोसा ने कहा कि हमें कोविड 19 टीकों, इलाज और चिकित्सा विज्ञान तक समान पहुंच सुनिश्चित करनी चाहिए। यही एकमात्र तरीका है जिससे हम दुनिया को चपेट में लेने वाली इस महामारी का मुकाबला कर सकते हैं। कोरोना के प्रति हमारी एकत्रित प्रतिक्रिया ने प्रदर्शित किया है कि जब हम एक साथ काम करते हैं तो क्या हासिल किया जा सकता है। ब्रिक्स देशों के रूप में हमें वैश्विक आर्थिक सुधार का समर्थन करना चाहिए और सार्वजनिक प्रणालियों के लचीलेपन को बढ़ावा देना चाहिए।