नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अपने चुनावी भाषणों में उलजुलूल बकने का आरोप कोई नया नहीं है। ताज़ा मामला आज उनके द्वारा फतेहपुर में दिए गए भाषण से जुड़ा है । आज अपनी चुनावी रैली को संबोधित करते हुए नरेन्द्र मोदी ने कहा है की- उन्होंने कहा कि गांव में अगर कब्रिस्तान बनता है तो शमशान भी बनना चाहिए ।
रमजान में बिजली मिलती है तो दिवाली पर भी बिजली मिलनी चाहिए । होली पर बिजली मिलती है तो ईद पर भी बिजली मिलनी चाहिए, जाति धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए। ऊंच नीच नहीं होना चाहिए ।
नरेन्द्र मोदी पर इसके पहले की चुनावी सभाओं में भी इस तरह स्तरहीन बात कहने का आरोप लगता रहा है. बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान महिलाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी करने पर राजद की सांसद मीसा भारती ने उनको आड़े हाथों लिया था वहीँ कई बार प्रियंका गांधी भी मोदी को करार जवाब दे चुकी हैं।
बिहार विधानसभा चुनाव में तो बिहारियों के डीएनए वाले बयान से तो बिहार की चुनावी बिसात भी पलट गयी थी । पर आज को नरेन्द्र मोदी के बयान को लेकर लोगों में काफी गुस्सा है. लोग कह रहे हैं की नरेन्द्र मोदी को किस तरह की बात कहने से पहले ये नहीं भूलना चाहिए की वो संघ कार्यकर्त्ता होने के साथ साथ इस देश के प्रधानमंत्री भी हैं ।
लोग उनपर इस तरह का बयान देकर साम्प्रदायिकता भड़काने का आरोप लगा रहे हैं. ज्ञातव्य हो की बिहार विधान सभा चुनाव के दौरान भी भाजपा पर गाय जैसे मुद्दे को राजनितिक करके मामले को साम्प्रदायिक रंग देने की कोशिश की थी, ये अलग बात है की बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा को मुह की खानी पड़ी थी. कई आलोचक नरेंद्र मोदी के बयान को यूपी चुनाव में भाजपा की हताशा को भी दिखा रही है.
आलोचकों का मानना है की – भाजपा यूपी चुनाव को भी साम्प्रादियिकता के पिच पर ही खेलना चाहती है. ये अलग बात है की इस पिच पर आजकल वो लगातार मात खा रही है।