लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश के प्राइमरी स्कूलों में खाना बनाने वाली रसोइयों और अनुदेशकों को बड़ी सौगात दी। सीएम ने लखनऊ में बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत रसोइयों और अंशकालिक अनुदेशकों को संबोधित करते हुए कहा कि अगर 2017 में प्रदेश में भाजपा की सरकार नहीं आती तो बहुत सारे स्कूल बंद हो गए होते। स्कूल अगर बंद हो गए होते तो आप में से बहुत सारे लोगों की सेवाएं समाप्त हो गई होती।
सीएम ने कहा कि जितने भी रसोइया हैं उन्हें बेसिक शिक्षा परिषद की तरफ से दो साड़ी देंगे। एप्रन और हेयर कैप का पैसा रसोइयों के खाते में देने की व्यवस्था परिषद करेगा। हर रसोइया को 5 लाख के स्वास्थ्य बीमा से जोड़ा जाएगा। रसोइया के अतिरिक्त मानदेय को 500 रुपये बढ़ाया जाएगा। अंशकालिक अनुदेशकों का मानदेय दो हजार रुपए बढ़ाया गया है। जबकि रसोइयों के मानदेय में 500 रुपए की बढ़ोत्तरी हुई है।
उन्होंने कहा कि पिछले 20-22 महीनों को छोड़ दे तो यूपी के बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में 54 लाख बच्चे पढ़े हैं। ये 54 लाख बच्चे बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में ऐसे ही नहीं पढ़े हैं। उसके पीछे शिक्षकों, रसोइयों और अच्छा और गर्म खाना खिलाने वाले रसोइयों का योगदान है। सबने सहयोग किया तो ये चीजें आगे बढ़ीं हैं। सीएम ने कहा कि लोगों के सहयोग से हम स्कूलों का विकास कर रहे हैं।बेसिक शिक्षा परिषद के अधिकारियों से एक-एक विद्यालय घूमने को कहा। परिणाम स्वरूप 1.56 लाख विद्यालयों में से 1.30 लाख विद्यालयों का कायाकल्प हो गया।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा कि 2017 के पहले 75 प्रतिशत बालिकाएं और 40 प्रतिशत बच्चे नंगे पैर विद्यालयों को जाते थे। यूनिफार्म सही नहीं थी। हमने बच्चों को दो अच्छी यूनिफार्म, बैग, स्वेटर, कॉपी-किताब के साथ जूता-मोजा भी देना शुरू किया। कोरोना काल में दिक्कत आई तो डायरेक्ट ट्रांसफर कर 11 सौ रुपए सीधे अभिभावकों के खाते में पैसा भेजा। जो आरोप-प्रत्यारोप लगते थे वे बंद हो गए।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में अनुदेशक और रसोइया लंबे समय से मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इस मौके पर सीएम ने कहा कि पिछले साढ़े चार वर्षों में बेसिक शिक्षा विभाग में बड़े सकारात्मक परिवर्तन आए हैं। ये परिवर्तन सबके सहयोग के बिना संभव नहीं थे।