संपादकीय
एक तरफ जहां दिग्गज अस्पतालों के डॉक्टरों ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर काफी शंकाएं व्यक्त की हैं और यहां तक कहा है कि सितंबर के पहले हफ्ते तक इसे आने से कोई नही रोक सकता व इससे बचना ही एक बेहतर विकल्प होगा अन्यथा भारी तबाही आ सकती है। इसी खबर से लोगों में भय का माहौल भी है, लेकिन प्रदेश सरकार ना जाने क्यों इस बात को हल्के में लेती नजर आ रही है। प्रदेश सरकार ने स्कूलों में बच्चों की ऑफलाइन पढ़ाई को जारी कर दिया है। जिससे अभिभावकों में दहशत का माहौल है उनका कहना है कि बच्चों को भेजना वो बिल्कुल भी नही चाह रहे है। लेकिन स्कूल वाले ऑनलाइन सुविधा ही बन्द करने पे आमादा है बावजूद इसके के किसी अभिभावक ने इसमें अपनी सहमति नही दी है, फिर भी सरकारी फरमान पर स्कूलों की मनमानी का दौर जारी है। अब ऐसे में मुश्किल ये है कि कहीं किसी के मासूम के साथ कुछ गलत हो गया तो उसकी जिम्मेवारी किसकी होगी सरकार की या स्कूल प्रशासन की। सरकारी हद तो ये है कि सरकार ने 1 सितंबर से क्लास 1 से 5 तक के बच्चों को भी स्कूल जाने का फरमान सुना दिया है ऐसे में छोटे बच्चों के अभिभावक बेहद चिंतित हैं उनकी सुनने वाला कोई नही स्कूल कहता है कि सरकार का आदेश है तो बच्चे को भेजना ही पड़ेगा। क्योंकि स्कूल खुलने के बाद ऑनलाइन सुविधा बन्द कर दी जाएगी ऐसे में अभिभावक छोटे बच्चों की जान जोखिम में कैसे डाल दें ये उनकी समझ से परे है पर विकल्प कोई नही क्योंकि यहां हमारी सरकार ही संजीदा नजर नही आ रही और स्कूल की मनमानी भी किसी से छिपी नही तो अब होगा क्या छोटे बच्चों का ये एक बड़ा सवाल है ऑनलाइन का बन्द होना उनके भविष्य के साथ बड़ा खिलवाड़ सा नजर आ रहा है जिसपर सरकारी आदेश की सख्त जरूरत महसूस हो रही है। जरूरत इस बात को लेकर है कि ये एक चिंता का विषय है चिंता होना भी लाजमी है।
कक्षा 1 से कक्षा 5 तक के बच्चों को इस समय स्कूल भेजने का मतलब है उनकी जान को जोखिम में डालना वो भी जानबूझकर कर बताइये कौन अभिभावक खुशी खुशी ऐसा करना चाहेगा जाहिर है कोई नही लेकिन स्कूल प्रशासन के गैरजिम्मेदाराना रवैये ने सबको संशय में डाल दिया है एक तरफ तो स्कूल अभिभावकों की रजामंदी पूछने का नाटक कर रहा है। और वही दूसरी तरफ अपना अड़ियल रवैया भी दिखा रहा है छोटे बच्चों के अभिभावकों ने साफ मना कर दिया है कि जब तक तीसरी लहर का संकट खत्म नही होता वो अपने बच्चों को स्कूल नही भेजेंगे बावजूद इसके स्कूल ने ऑनलाइन क्लासेस को बंद करने का फरमान सुना दिया ये कैसी जबरदस्ती है समझ नही आता सरकार से मिली शह पर सभी स्कूल अपनी मनमानी पर उतारू हो गए हैं पर सरकार उनकी तरफ ध्यान ही नही दे रही अब ऐसे में अभिभावकों की इस वक्त की स्थिति क्या होगी ये वही बेहतर जान सकते है जो हमारे माध्यम से अपनी आवाज सरकार तक पहुंचना चाहते हैं जो चाहते हैं कि ऑनलाइन क्लास बन्द ना की जाए ताकि बच्चा पढ़े भी और सुरक्षित भी रहे। मो. इरफान शाहिद, लखनऊ।