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Monday, December 23, 2024

क्या केवल भाजपा से टिकट मिलनें से पार होगी चुनावी बैतरणी

सीतापुर-अनूप पाण्डेय,सुनील वर्मा/NOI- महमूदाबाक्या केवल भाजपा से टिकट मिलनें से पार होगी चुनावी बैतरणीद सीतापुर नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद हेतु भाजपा ने पूर्व चेयरमैन प्रतिनिधि अम्बरीश गुप्ता को अपना प्रत्याशी तो बना दिया है लेकिन नगरीय क्षेत्र में पूर्व के कार्यकाल में किए गए तमाम विकास के वादे पूरे न करनें अथवा न कर पानें से जनता में जबरदस्त विरोध होनें के आसार हैं, वहीं सत्तारूढ दल के तमाम कार्यकर्ता भाजपा नगर मण्डल के पदाधिकारी अतुल वर्मा को एवं उनके पिता सुरेश वर्मा को क्रमशः 2017,व 2022 के विधानसभा चुनाव में पार्टी द्वारा टिकट न दिए जानें और अब नगर पालिका चुनाव में भी पार्टी द्वारा अनदेखी करनें के निर्णय से रोष में हैं।
नगरीय क्षेत्र के अंतर्गत शामिल हुए गांवों से बेशक हिन्दू मतदाताओं की संख्या बढी है लेकिन हिन्दुओं का मतदान प्रतिशत बहुत संतोषजनक न होना वहीं अल्पसंख्यक समुदाय का मतदान प्रतिशत ठीक रहना मुश्किलें पैदा कर सकती हैं,
बागी अतुल सुरेश वर्मा भी चूंकि विगत कई वर्षों से अपनीं छवि बनाते रहें हैं और तकरीबन हर जाति से टिकट न मिलनें की सद्भावना से मतदाताओं को अपनीं तरफ आकर्षित करनें में कोई कोर-कसर छोड़नें के मूड में नहीं लगतें हैं।
वहीं सपा उम्मीदवार मो0 अहमद पूर्व में इसी पद पर चेयरमैन रहें हैं और विगत नगर पालिका परिषद चुनाव में मामूली अंतर से उपविजेता रहें हैं अतः उनकी उम्मीदवारी भी कम सशक्त नहीं रहेगी,
एक दिलचस्प समीकरण यह भी हैं कि हिन्दू मतदाताओं में जहां एक तरफ कांटे का बंटवारा है वहीं मुस्लिम समुदाय में वर्तमान समय तक मो0 अहमद को सबसे अधिक लोग पसंद करते हैं,
जहां वर्तमान अध्यक्ष का विरोध भाजपा उम्मीदवार अम्बरीष गुप्त को झेलना पड़ेगा वहीं अतुल सुरेश वर्मा एक निर्विवाद नाम है और मो0 अहमद के समय के कारनामों को मुस्लिम समुदाय या तो माफ कर चुका है अथवा भूल चुका है, वहीं क्षेत्र के कुशल नेता और पूर्व कार्यवाहक मुख्यमंत्री रहे डाक्टर अम्मार रिजवी और सीता चिल्ड्रेन अकादमीं के संस्थापक रमेश बाजपेई सहित करीब दर्जन भर समाजसेवी अतुल सुरेश वर्मा को इस चुनाव में सफलता दिलानें हेतु मैदान में डटे हुए हैं, तो वहीं दूसरी तरफ नगर में एक चर्चा यह भी है कि पिछले चुनाव में अम्बरीष गुप्त नें अपनीं कुण्डली किसी भविष्य वत्ता को दिखाया था जिसको देख कर उस भविष्यवत्ता ने कहा था कि आप सीधे कभी कुर्सी पर आसीन नहीं हो पाओगे, इसलिए तमाम लोगों को ऐसा कहते पाया गया कि जब किस्मत में राजयोग है ही नहीं तो मत बेकार करनें से क्या लाभ होगा।

हिन्दू मतदाताओं में भी ऐसा कोई फैक्टर नहीं चल रहा है जिसके बल-बूते सभी जातियों को एकजुट करके परिणाम हासिल किया जा सके, महमूदाबाद नगर क्षेत्र में दलित मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है लेकिन जब इनसे बात किया गया तो यह सुनकर माथा भन्ना गया कि इस चुनाव से प्रदेश अथवा केन्द्र की सरकार तो बननीं नहीं है इसलिए यह जरूरी नहीं है कि भाजपा के खाद्यान्न और शौचालय, बिजली के लिए हर चुनाव में उसके प्रत्याशी को वोट किया ही जाए!
पिछले विधानसभा चुनाव में हमनें वोट दिया था भाजपा उम्मीदवार को लेकिन उनके यहां बैठे दलाल कहतें हैं कि आप लोग दलित समाज के हो इसलिए कोई कैसे मान ले कि आपनें हमें वोट दिया होगा?

इसलिए इस बार भाजपा को कतई वोट नहीं देना है, हम सभी बाकी उम्मीदवारों को भी मौका देंगे।

इसलिए स्थानीय कुर्मी समाज अपनें स्वजातीय को टिकट न दिए जानें से नाराज है, वहीं नगर के जैन समाज, स्वर्णकार समाज, बाल्मीकि समाज, कायस्थ समाज सहित कमोवेश सभी जातियों के लोग किसी न किसी बात से नाराज हैं और एकजुट होकर मतदान करेंगे वर्तमान परिदृश्य में कठिन लगता है।

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