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सीतापुर -अनूप पाण्डेय.जगमोहन मिश्र/NOI-उत्तरप्रदेश जनपद सीतापुर के मिश्रित नैमिषारण्य में होने वाले 84 कोसीय परिक्रमा में कोरोना महामारी को पछाड़कर आस्था भारी पड़ गई बताते चलें हर वर्ष नैमिषारण्य में होने वाला 84 कोसीय परिक्रमा विगत वर्षों की भांति इस वर्ष सबसे ज्यादा श्रद्धालु देखेगा लाखों की संख्या में परिक्रमार्थी गांजे बाजे के साथ डंका बजते ही अपने पड़ाव के लिए कूच कर दिए उम्मीद से बढ़कर जिस तरीके से भारी जनसैलाब देखने को मिला उससे यह साफ अंदाजा लगाया जा सकता है सनातन धर्म व श्रद्धा और भक्ति के साथ जिस तरीके से श्रद्धालु गण बोलकर आकर सीताराम जयराम दल बाबा की जयकारों के साथ आगे बढ़ रहे थे
महर्षि दधीच और भगवान राम ने सबसे पहले की थी नैमिषारण्य तीर्थ में 84 कोसीय परिक्रमा
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मान्यताओं के अनुसार सबसे पहले 84 कोसीय भगवान राम ने अयोध्या वासियों को साथ लेकर नैमिषारण्य में 84 कोसीय परिक्रमा की थी यह भी मान्यता है जब देवताओं और दैत्यों में युद्ध हुआ उस समय दैत्यों का सेनापति वृत्रासुर जोकि बहुत ही बलवान था जिसे देवता पराजित नहीं कर सकते थे देवता गण बहुत ही परेशान हो गए अपने गुरु बृहस्पति के पास गए और पूछा गुरुदेव यह हम से पराजित नहीं हो रहा है इसका वध कैसे करें तब देव गुरु बृहस्पति ने बताया नैमिषारण्य तीर्थ क्षेत्र में महर्षि दधीच तपस्या कर रहे हैं उनसे जाकर किसी प्रकार से उनकी अस्थि मांग लो उससे जो अस्त्र बनेगा उसी से ही वृत्रासुर सुर का बध होगा देवराज इंद्र महर्षि दधीच के पास आए और बहुत ही अनुनय विनय कर उनसे उनकी अस्थियों का दान मांगा महर्षि दधीच ने कहा थोड़ा रुक जाओ हम परिक्रमा कर ले उसी समय सारे तीर्थ सभी देवता गण इस 84 कोसीय क्षेत्र में विभिन्न रूप धारण कर आ गए दधीचि ने उनका परिक्रमा किया उसके बाद अपने शरीर पर नमक डलवा कर गाय से सारे शरीर को चटवा दिया जब मात्र अस्थि शेष रह गई उनको देवराज इंद्र ने ले लिया जिससे वज्र बना उसी वज्र से देवराज इंद्र ने वृत्ता सुर का वध किया और विजय प्राप्त की तभी से यह परिक्रमा आज भी चला रहा है
प्रशासन की रही चाक-चौबंद व्यवस्था
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श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर प्रशासन पूरी तरह से चौकन्ना नजर आया पीएसी बल और पुलिसकर्मियों के साथ अपनी अपनी जगह पर सभी कर्मचारी ड्यूटी पर तैनात रहे ताकि कहीं पर कोई अप्रिय घटना ना घटे परिक्रमा मार्ग पर पुलिस प्रशासन मोबाइल ड्यूटी के साथ तैनात रहा जगह जगह सुरक्षाकर्मी मौजूद रहे मिश्रिख एसडीएम गिरीश झा तहसीलदार चंद्रकांत त्रिपाठी क्षेत्राधिकारी एमपी सिंह मेला प्रभारी विनय सिंह नैमिषारण्य थाना प्रभारी विनोद मिश्रा पूरी तरह से सतर्क रहें पूरी रात जागने के बाद दूसरे दिन भी पुलिस प्रशासन जागता रहा और परिक्रमार्थियों को संपूर्ण सुरक्षा का एहसास पुलिसकर्मी दिलाते रहे
पहला आश्रम के महंत भरत दास के सानिध्य में चलता है रामादल
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पहला आश्रम के महंत भरत दास के आश्रम से निकलने के बाद ललिता देवी मंदिर चौराहे के पास सारे परिक्रमार्थी एकत्रित होते हैं उसके बाद डंका बजता डंका बजते ही श्रद्धालु अपने गंतव्य की ओर चल देते हैं महंत भरत दास जी ने बताया हम लोग कोरोनावायरस को ध्यान में रखते हुए सोशल डिस्टेंसिंग के साथ परिक्रमा करेंगे और सभी से यह आग्रह करेंगे सब लोग सोशल डिस्टेंसिंग के साथ ही रहे ताकि खुद सुरक्षित रहें वहीं स्वामी वीरेन्द्राचार्य ने बताया सनातन धर्म और भक्ति को साधु संत ही संजोए हुए हैं और इस कलयुग में धर्म ही एकमात्र ऐसा साधन है जिससे हम भवसागर पार कर सकते हैं तीर्थ नैमिषारण्य वह तपोभूमि है जिसने राम को जन्म दिया सृष्टि की स्थापना की समस्त तीर्थ व देवता गण नैमिष में वास करते हैं यहां जो भी श्रद्धालु श्रद्धा भक्ति के साथ आता है माता रानी उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं अंत में वह परम पद को प्राप्त होता है