लखनऊ। सीबीआइ स्पेशल कोर्ट ने गोंडा के 31 साल पुराने माधवपुर फर्जी मुठभेड़ कांड में 3 पुलिसवालों को फांसी और 5 को उम्रकैद की सजा सुनाई है। फांसी की सजा पाए तीन पुलिसकर्मियों के नाम हैं एसओ आरबी सरोज, प्लाटून कमांडर रमाकांत और सिपाही रामकरन। दोषियों में जीवित बचे सभी पांच पुलिस कर्मियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
उम्र कैद की सजा पाने वालों में तत्कालीन रीडर एसपी नसीम अहमद, एसआइ गोंडा देहात मंगल सिंह, एसआइ कोतवाली देहात परवेज हुसैन, हेड कांस्टेबल कर्नेलगंज राम नायक पांडे और एसआइ लकड़मंडी राजेंद्र प्रसाद सिंह शामिल हैं। फैसले के समय दिवंगत सीओ की बेटी एवं बहराइच की जिलाधिकारी किंजल सिंह भी कोर्ट में मौजूद थीं।
सीबीआइ के विशेष जज राजेंद्र सिंह ने कड़ी सुरक्षा के बीच यह फैसला सुनाया। माधवपुर मुठभेड़ 1982 में हुई थी जिसमें डीएसपी केपी सिंह और 12 ग्रामीण मारे गए थे। सीबीआइ कोर्ट ने 29 मार्च को सुनवाई पूरी कर जीवित बचे आठ अभियुक्तों को दोषी ठहराया था। जबकि हेड कांस्टेबल प्रेम सिंह को बरी कर दिया था। फैसले के लिए पांच अप्रैल की तारीख मुकर्रर की थी। शुक्रवार को रौशनुद्दौला कोठी में फैसला सुनाए जाने के समय सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। फैसले के बारे में जब किंजल सिंह से प्रतिक्रिया जाननी चाही तो वह फफक कर रो पड़ीं। फैसला सुनने मुठभेड़ में मारे गए लोगों के परिवारी जन भी बड़ी संख्या में आए हुए थे।