पोरालामर (वेनेजुएला)। भारत के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने कहा है कि विकास और विकासात्मक सहयोग के लिए शांतिपूर्ण वैश्विक वातावरण अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि यह सहयोग सदस्य राष्ट्रों की सार्वभौम इच्छा के अनुरूप होना चाहिए। अंसारी रविवार को वेनेजुएला के मार्गरीटा द्वीप में 17वें गुटनिरपेक्ष शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर वेनेजुएला के राष्ट्रपति निकोलन मादुरो और ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज अंतर्राष्ट्रीय शांति और राष्ट्रों की प्रभुसत्ता के समक्ष सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद है।
उन्होंने कहा, “राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने या नीतियों में बदलाव लाने के लिए निर्दोष नागरिकों की अंधाधुंध हत्याओं को किसी भी आधार पर उचित नहीं ठहराया जा सकता। आतंकवाद मानवाधिकारों के उल्लंघन का सबसे खतरनाक माध्यम है और यदि कोई राष्ट्र आतंकवाद को अपनी राज्य नीति के रूप में इस्तेमाल करता है तो यह स्पष्ट रूप से निंदनीय है।”
उपराष्ट्रपति ने कहा, “गुटनिरपेक्ष आंदोलन के लिए यह अनिवार्य है कि वह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को आतंकवाद का खात्मा करने की दिशा में काम करने के लिए प्रेरित करें और आतंकवाद के बारे में संयुक्त राष्ट्र के व्यापक समझौते के प्रारूप का अनुमोदन करें।” उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में तत्काल सुधारों की आवश्यकता है, ताकि उसे 21वीं सदी के अनुकूल बनाया जा सके।
अंसारी ने कहा, “हमें अपने आंदोलन के भीतर एक ऐसी व्यवस्था कायम करने की आवश्यकता है, जो आतंकवाद से लड़ सके, क्योंकि सुरक्षा, सार्वभौमिकता और विकास के प्रति सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद के कारण ही पैदा हुआ है।”
उन्होंने कहा, “अगले तीन वर्षो में विकास के लिए शांति, संप्रभुत्ता और एकता जैसे विषयों पर बल दिया जाएगा, जो हमारे मूलभूत सिद्धांतों का आधार है। स्थायी विकास हमारे प्रयासों का मूलाधार और हमारी सर्वोच्च कामना है, जिसे गुटनिरपेक्ष आंदोलन हासिल करने के लिए एकजुट है।”
उन्होंने कहा, “तीन लक्ष्यों में शांति और संप्रभुता के अन्य दो लक्ष्य विकास की पूर्व शर्त हैं। गुटनिरपेक्ष आंदोलन को राजनीतिक, सामरिक और आर्थिक एवं सामाजिक मुद्दों पर प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय बहस को संचालित करना चाहिए।”